सिटी पोस्ट लाइव : तेजस्वी यादव 15 दिसंबर से कार्यकर्ता संवाद यात्रा के चौथे फेज की शुरुआत करेंगे। कोसी-सीमांचल के 8 जिलों (सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और भागलपुर) की 44 विधानसभा सीटों को साधने के लिए तेजस्वी यादव 15 दिसम्बर से यात्रा पर निकल रहे हैं.राजनीति के मक्का मदीना के जरिये अपने माय समीकरण को फिर से दुरुस्त करेगें. बिहार की हर पार्टी की नजर इसी इलाके पर है. 2020 के चुनाव में पहले AIMIM ने यहां की 5 सीटें जीत कर महागठबंधन को झटका दिया था.अब प्रशांत किशोर यहां मजबूत संगठन खड़ा करने में जुटे हैं.
यहां हिंदू वोटर्स के ध्रुवीकरण की कोशिश में बीजेपी जुटी है. इन इलाकों में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अक्टूबर में हिंदू स्वाभिमान यात्रा कर चुके हैं.तेजस्वी यादव इस ईलाके की यात्रा ऐसे वक्त में शुरू कर रहे हैं, जब वो 2 उपचुनाव में बुरी तरह हार चुके हैं. इमामगंज को छोड़कर तीनों सीटें बेलागंज, रामगढ़ और तरारी महागठबंधन के पास थी, लेकिन अब चारों पर NDA का कब्जा है.तीसरे फेज के बाद तिरहुत स्नातक एमएलसी के उपचुनाव में भी उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर चली गई.
कोशी और सिमांचल के 8 जिलों की जिन 44 विधान सभा क्षेत्रों को साधने तेजस्वी जा रहे हैं, उनमें फिलहाल 14 पर बीजेपी और 13 पर जेडीयू का कब्जा है. कांग्रेस के पास 6, आरजेडी के पास मात्र 5 विधायक हैं. पिछले चुनाव में यहां से AIMIM के 5 और माले से एक विधायक जीते थे.इस लिहाज से देखें तो एनडीए को 27 और महागठबंधन को 17 सीटों पर जीत मिली थी. 44 में 26 सीटें ऐसी हैं, जिस पर महागठबंधन दूसरे नंबर पर था. हालांकि बाद में आरजेडी ने AIMIM के चार विधायकों को तोड़ लिया था.
2024 लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने यहाँ अच्छा प्रदर्शन किया है.कांग्रेस पार्टी किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया सीट भी जीतने में सफल रही. जबकि इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के पास सीमांचल की बस कटिहार सीट थी. अररिया, सुपौल और भागलपुर अभी भी NDA के पास ही है.सीमांचल सबसे अधिक मुस्लिम वोटर हैं. किशनगंज में 67 फीसदी, कटिहार में 38 फीसदी, अररिया में 32 फीसदी, पूर्णिया में 30 फीसदी मुसलमान वोटर हैं.बीजेपी इन इलाकों में ISI, PFI जैसे संगठनों के मजबूत होने और बांग्लादेशी घुसपैठिए का मुद्दा उठाती रही है.दूसरी तरफ AIMIM सीमांचल को विशेष दर्जा देने की मांग करता रहा है.
चौथे फेज में तेजस्वी यादव पूर्णिया भी पहुंचेंगे. पप्पू यादव को यहाँ से हराने के लिए तेजस्वी यादव ने जेडीयू की बीमा भारती को पार्टी में शामिल कराकर टिकट दिया था.बीमा भारती लोकसभा चुनाव हार गई. लोकसभा के बाद यहीं के रूपौली में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. पप्पू यादव के ईलाके में फिर से अपनी पार्टी के लिए जगह बनाना तेजस्वी यादव के लिए आसान नहीं होगा.तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव 2020 में जीते 5 AIMIM के विधायकों में से जिन 4 को आरजेडी में मिलाया था, वे सभी इन्हीं इलाकों से आते हैं. इस इलाके के मुसलमान एकजुट रहें तो पूरे बिहार में तेजस्वी यादव का माय समीकरण दुरुस्त रहेगा.उनकी राह के सबसे बड़ा रोड़ा AIMIM और पप्पू यादव हैं.