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कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के पीछे की रणनीति?

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत सरकार द्वारा  मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने के फैसले से बिहार से दिल्ली तक सियासी हलचल तेज़ हो गई.कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के सीएम रहे और उन्हें ‘जननायक’ कहा गया. उनका निधन 1988 में हुआ और इसके 36 साल बीतने के बाद उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जा रहा है.राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न बहुत पहले ही मिल जाना चाहिए था.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फ़ैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया. लालू और नीतीश दोनों कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक विरासत पर दावा करते हैं. नीतीश कुमार की पार्टी से कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर राज्यसभा सांसद हैं.

कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनाव है और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने को चुनाव से सीधा जोड़ा जा रहा है. कर्पूरी ठाकुर बिहार की अति पिछड़ी जाति नाई से ताल्लुक रखते थे. बिहार में अति पिछड़ी जातियां सबसे बड़ा जातीय समूह है.उन्हें साल 1977 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद मुंगेरीलाल कमिशन लागू करके राज्य की नौकरियों आरक्षण लागू करने के लिए हमेशा याद किया जाता है.बीते साल दो अक्तूबर को बिहार सरकार ने जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किए थे. इसके मुताबिक़ बिहार की कुल आबादी क़रीब 13 करोड़ है और इनमें सबसे अधिक संख्या अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है. ये राज्य की आबादी के करीब 36 फ़ीसदी हैं. इसके बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी पिछड़ा वर्ग की है, जो राज्य में 27.12 फ़ीसदी आबादी रखते हैं.

जातिगत सर्वे को कांग्रेस सहित अधिकांश विपक्षी दलों ने समय की ज़रूरत बताया और जितनी आबादी उतना हक़ जैसे नारे दिए.नीतीश कुमार की सरकार ने सर्वेक्षण के बाद एक और बड़ा कदम उठाते हुए राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 फ़ीसदी कर दिया.बिहार के ओबीसी वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा अब तक लालू यादव और नीतीश कुमार की पार्टियों के ही साथ रहा है.पहले जातिगत सर्वे और फिर इसको आधार बनाते हुए आरक्षण बढ़ाने से ये चर्चा तेज़ हुई कि इसका फ़ायदा 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को हो सकता है.जानकारों की नज़र में केंद्र सरकार कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर पिछड़ी जातियों के वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है.

“लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे नेता जो कर्पूरी ठाकुर के शिष्य रहे हैं, वो डिमांड तो करते ही रहे हैं कि उन्हें भारत रत्न मिले. ये फ़ैसला बहुत सटीक समय पर लिया गया है.”22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की गई. राम मंदिर बनवाना बीजेपी के घोषणापत्र का हिस्सा रहा था.इसलिए ये कहा गया कि अब राम मंदिर बन जाने से आने वाले चुनावों में बीजेपी को इसका फ़ायदा हो सकता है. हालांकि, बीजेपी हिंदू वोट बैंक को कितना साध पाएगी ये छह महीने बाद ही पता चल सकेगा.

लेकिन इसके 24 घंटे के अंदर कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के एलान को राजनीतिक विश्लेषक कमंडल के साथ मंडल वोट बैंक को बैलेंस करने की रणनीति से जोड़ रहे हैं.ख़ासतौर पर बिहार में, जहाँ आने वाले चुनाव में बीजेपी के सहयोगी रह चुके नीतीश अब आरजेडी के साथ हैं.राजनीति की भाषा में कमंडल को हिन्दुत्व और मंडल पिछड़ों के उभार से जोड़ा जाता है. “बीजेपी ने 1990 के दशक में सोशल इंजीनियरिंग शुरू की. उस दौर में पिछड़े वर्ग से आने वाले कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे लोगों को आगे किया गया और नरेंद्र मोदी भी अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं. काफ़ी सालों से बीजेपी ये कोशिश कर रही है कि कमंडल की राजनीति का तोड़ कही जाने वाली मंडल की राजनीति को अपने में समाहित कर ले.”

बीजेपी के पास बिहार में अति पिछड़ा वर्ग का कोई बड़ा चेहरा नहीं है.ऐसे में कर्पूरी ठाकुर की विरासत को अपने खेमे में कर के पार्टी राज्य के पिछड़े वर्गों के बीच पैठ बढ़ाने की कोशिश में है.जिस तरह से बीजेपी बहुत से बड़े दिग्गज नेताओं को अपने पाले में जोड़ लेती है, जैसे गुजरात में सरदार वल्लभ भाई पटेल, जो असल में कांग्रेस के नेता था. बिहार में भी चूंकि बीजेपी के पास कोई चेहरा नहीं था, तो सोचा गया होगा कि कर्पूरी ठाकुर का नाम अपने साथ जोड़ लिया जाए. ये भी बीजेपी के लिए एक बड़ा कार्ड हो सकता है.”

जनता दल यूनाइटेड और बीजेपी जब साथ हुआ करती थी, तब ऐसा होता था कि ओवरलैप कर के अति पिछड़ा वर्ग का वोट मिल जाता था. लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार लालू के साथ चले गए तो बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 243 में से सिर्फ़ 58 सीटें ही आईं. लालू यादव और नीतीश कुमार जब साथ आ जाते हैं तो अति पिछड़ा उनके साथ चला जाता है.बीजेपी को लगा कि नीतीश और लालू ने कास्ट सर्वे करा के अति पिछड़ा वर्ग को पूरी तरह अपने पाले में करने का कार्ड खेला है तो उसे बेअसर करने के लिए बीजेपी ने भी दांव (कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न) चल दिया.”

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