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विशेषज्ञ बनने के लिए नीट-पीजी जरुरी नहीं.

नीट-पीजी में कोई अंक न ला पाने वाले डॉक्टर भी अब बन सकते हैं विशेषज्ञ.

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सिटी पोस्ट लाइव :राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने सभी श्रेणियों में राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा स्नातकोत्तर (नीट-पीजी/NEET-PG) 2023 क्वालीफाइंग परसेंटाइल को घटाकर शून्य कर दिया है. इसका मतलब है कि नीट-पीजी 2023 परीक्षा में उपस्थित होने वाले सभी उम्मीदवार अब स्नातकोत्तर चिकित्सा परामर्श प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र हो जाएंगे.इस संबंध में जारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, ‘2023 (नीट-पीजी 2023) के लिए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए योग्यता प्रतिशत में कमी की सिफारिश पर मंत्रालय में विचार किया गया है.’

इसमें कहा गया है, ‘सभी श्रेणियों में नीट-पीजी 2023 के लिए क्वालीफाइंग परसेंटाइल को घटाकर ‘शून्य’ करने के लिए सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी से अवगत कराया जाता है.’स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार  यहां तक कि जिस उम्मीदवार ने कोई अंक प्राप्त नहीं किया है या जिसने नकारात्मक अंक प्राप्त किए हैं, वह भी एनईईटी-पीजी काउंसलिंग के लिए पात्र होंगे.यह एक ऐसा कदम है, जिसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी स्नातकोत्तर मेडिकल सीट खाली न रहे, लेकिन इससे निजी कॉलेजों को लाभ होगा.

इस कदम का  कुछ डॉक्टरों के संगठनों ने स्वागत किया. वहीं कई अन्य संघों और डॉक्टरों ने इसका विरोध किया है. उनका मानना है कि यह कदम चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के मानक का ‘मजाक’ है.कट-ऑफ को शून्य प्रतिशत तक कम करने से निजी मेडिकल कॉलेजों में भ्रष्टाचार और उच्च फीस को बढ़ावा मिलेगा और भारत में चिकित्सा उद्योग ‘बिक्री के लिए’ हो जाएगा.इससे पहले सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए नीट-पीजी के लिए न्यूनतम योग्यता स्कोर 50 प्रतिशत था, जिसका अर्थ है कि एक उम्मीदवार को परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए कुल उम्मीदवारों के 50 प्रतिशत से बेहतर स्कोर करना होगा.

योग्यता के बाद उम्मीदवार कट-ऑफ स्कोर और प्रत्येक विशेषता (Specialty) में सीटों की उपलब्धता के आधार पर विभिन्न विभागों में सीटों का चयन करेंगे. इसे अब सभी श्रेणियों में शून्य प्रतिशत कर दिया गया है, जिसका अर्थ है कि कोई कट-ऑफ नहीं है.आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जेए जयलाल जयलाल ने सरकार के इस कदम को ‘विनाशकारी’ बताते हुए कहा कि यह चिकित्सा क्षेत्र को अस्थिर कर देगा.कट-ऑफ में कमी का विरोध करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि अगर खाली सीटों को सरकारी कॉलेज की सीटों में ‘परिवर्तित’ किया जाता है, तो वे प्रतिशत कम करने की आवश्यकता के बिना भी भर जाएंगी.

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