सिटी पोस्ट लाइव : आजकल बिहार के मुख्यमंत्री बीजेपी नेताओं के आसपास ज्यादा दिखाई दे रहे हैं.नीतीश कुमार महागठबंधन में हैं, बीजेपी उनके ऊपर लगातार हमलावर भी है.लेकिन फिर भी बीजेपी के नेता और नीतीश कुमार एक दुसरे नजदीकी बनाये हुए हैं.मुख्यमंत्री चैती छठ का प्रसाद खाने बीजेपी नेता संजय मयुक के घर पहुँच गए. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और बिहार के एमएलसी संजय मयूख के निमंत्रण पर नीतीश कुमार उनके घर तीन दिन पहले गये थे. उनके बॉडी लांग्वेज से कॉन्फिडेंस झलक रहा था. संजय मयूख के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी के नजदीक के संबंध हैं. अनुमान लगाने वाले उसके बाद से इसी जोड़-घटाव में लगे हैं कि यह नीतीश की निहायत भलमनसाहत थी या बीजेपी के साथ उनकी कोई राजनीतिक खिचड़ी पक रही है.
रामनवमी के अवसर पर पटना में एक ऐसा मंच बना, जहां दलगत भेदभाव भुला कर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं का जमावड़ा था. राज्यपाल के साथ सीएम नीतीश कुमार भी मंच पर मौजूद थे. उनके साथ जेडीयू कोटे के मंत्री भी आये थे. उसी मंच पर भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा समेत बीजेपी के कई और नेता भी थे. राज्यपाल और सीएम नीतीश ने एक साथ रामजी की आरती की. उसके बाद सम्राट चौधरी की बारी थी. नीतीश ने आरती में उनका भी साथ दिया. दोनों एक साथ थाल पकड़े आरती कर रहे थे. सम्राट चौधरी ने यह तस्वीर अपने सोशल मीडिया पर भी जारी की है.
बीजेपी से अपने संबंधों को नीतीश खुद ही जाहिर करते रहते हैं. इसके लिए बीजेपी को कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ती. नीतीश कुमार ने ही बताया था कि फागू चौहान की जगह नये राज्यपाल की नियुक्ति के बारे में अमित शाह ने उन्हें फोन किया था. जिस दिन बिहार के नये ज्यपाल की घोषणा हुई, उसी दिन दूसरे कई राज्यों के गवर्नर भी बदले गये. किसी भी सीएम को अमित शाह ने फोन नहीं किया, लेकिन नीतीश की सलाह लेना उन्होंने जरूरी समझा. इसके बाद भी कयासों का दौर चला था. नीतीश के जन्मदिन पर भी पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह और बीजेपी शासित राज्यों के कई सीएम ने उन्हें फोन कर बधाई दी थी.
नीतीश कुमार महागठबंधन के सबसे बड़े साथी दल आरजेडी को इस बात का एहसास कराना चाहते हों कि अधिक टें-पें करने की जरूरत नहीं, उनके मददगार अब भी इंतजार कर रहे हैं. ऐसा इसलिए कि आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव की ताजपोशी के लिए आतुर हैं. वे चाहते हैं कि जितनी जल्दी हो, नीतीश सीएम की कुर्सी तेजस्वी यादव के लिए खाली कर दें. यह सब तब हो रहा है, जब नीतीश ने घोषणा कर दी है कि 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा.
नीतीश के पैंतरे को को लेकर तेजस्वी सावधान हैं.तेजस्वी ने विधानसभा में के लिए स्पष्ट किया था कि वे नीतीश के नेतृत्व में ही काम करना चाहते हैं. वे जहां जिस रूप में हैं, वहीं ठीक हैं. उन्हें अभी सीएम नहीं बनना है और न नीतीश जी पीएम बनने जा रहे. उनके कहने का आशय साफ था कि आरजेडी के लोग कोई हड़बड़ी न दिखाएं. नीतीश ही अभी सीएम हैं और आगे भी रहेंगे. चंद्रशेखर का नीतीश के पांव छूना तेजस्वी का संकेत ही माना जा रहा है. कुल मिलाकर बिहार की सियासत पैंतरेबाजी के दौर से गुजर रही है. सवाल सबसे बड़ा है कि इस पैंतरे को समझने वाला और इस पर निगाह रखने वाला बाजी मारेगा? ये भी हो सकता है कि पैंतरेबाजी करने वाला ही बाजी मार ले जाए?