सिटी पोस्ट लाइव : लोकसभा चुनावमें बिहार में 39 सीट से 30 सीट पर सिमट जाने के बाद भी बीजेपी ने अपने बिहार के संगठन में कोई फेरबदल नहीं की है.दरअसल,विनोद तावड़े ने कम समय में ही राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बेहतर संबंध भी बना चुके हैं. जहां बीजेपी में नीतीश कुमार के लिए सभी दरवाजे-खिड़की बंद थे, वहां अचानक उनका खुल विनोद तावड़े की राजनीतिक सूझ बूझ का परिणाम है. विनोद तावड़े का प्रभाव क्षेत्र केवल बिहार तक नहीं है. महाराष्ट्र की राजनीति में उनकी अच्छी खासी पैठ है. महाराष्ट्र में बीजेपी की स्थिति ऐसे ही खराब है इसलिए विनोद तावड़े को बिहार में मिली हार के वावजूद बीजेपी उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले पाई.
बिहार में जिस तरह से जातीय गणित पर महागठबंधन दो-दो हाथ के मूड में था वैसे में नीतीश कुमार को साधना एक बड़ी रणनीति की विजय मानी जाती है. आज केंद्र की सरकार में नीतीश कुमार नहीं होते तो सरकार बनाना और उसे चलाना कितना मुश्किल था, ये समझना मुश्किल नहीं है. सबसे बड़ी बात यह है कि नीतीश कुमार समय से पहले चुनाव कराने की सोच रहे हैं. ऐसे में कोई भी सांगठनिक परिवर्तन बीजेपी के लिए नुकसानदेह हो सकता है.
बिहार प्रभारी विनोद तावड़े के बने रहने के लिए बिहार विधान सभा चुनाव की अनिश्चितता एक बड़ा कारण है. राजनीतिक गलियारों की बात करें तो बिहार विधान सभा चुनाव कई थ्योरी चल रही है. यह आम धारणा है कि वर्ष 2025 का विधान सभा चुनाव एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में और महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लडा जाएगा. एक धारणा यह भी है कि जदयू के भीतर एक धड़ा ऐसा भी जाए जो माइनस भाजपा और माइनस राजद चुनाव लड़ना चाहता है. वहीं भाजपा के भीतर भी एक धड़ा अकेले दम पर बिहार विधान सभा 2025 चुनाव लड़ना चाहती है. इस लिहाजन भी विनोद तावड़े बिहार की जरूरत बने हुए हैं.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी अपने पद पर बने हुए हैं.चुनाव में पांच सीटों पर हार के बाद उनके खिलाफ भी पार्टी में आवाज उठी लेकिन फिर भी पार्टी उनके खिलाफ एक्शन नहीं ले पाई.बीजेपी को ये बखूबी पता है कि सम्राट के खिलाफ एक्शन लेने से कुशवाहा समाज की नाराजगी बढ़ जायेगी.वैसे भी अपने समाज से एक भी उम्मीदवार लोक सभा चुनाव में नहीं उतारे जाने को लेकर कुशवाहा वोटर नाराज हैं.लोक सभा चुनाव में उसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा है.
आज की बीजेपी अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी वाली बीजेपी नहीं है. पार्टी के भीतर एक पद एक व्यक्ति की थ्योरी चलती है .पर बिहार के संदर्भ में ही देखे तो नगर विकास मंत्री नितिन नवीन को छत्तीसगढ़ का और राजस्व भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल को सिक्किम का प्रभारी बनाया है. वैसे भी 24 राज्यों के प्रभारी की सूची में कुछ अपवाद को छोड़ यथावत स्थिति ही लागू है.फिर सम्राट चौधरी के खिलाफ एक्शन लेने की हिम्मत बीजेपी नहीं दिखा सकती.