मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर सकती है ED?

केजरीवाल और हेमंत सोरेन की गर्दन पर लटक रही है गिरफ्तारी की तलवार, जानिये आगे क्या होगा?

सिटी पोस्ट लाइव :  दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को ईडी का समन मिला, लेकिन वे नहीं गए. दोनों ने अंदेशा जताया कि ईडी उन्हें अरेस्ट कर सकती है. तब से यह सवाल उठा है कि ईडी किसी मामले में समन कब करती है? कितनी बार करती है? अरेस्ट करने के पीछे क्या तर्क होता है? क्या किसी सीएम को भी ईडी अरेस्ट कर सकती है? एक बार फिर इन सवालों के इर्द-गिर्द सियासत भी शुरू हो गई है. ईडी कथित शराब घोटाले में केजरीवाल को तीन बार समन भेज चुकी है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी ईडी जमीन सौदे से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सात पर समन भेज चुकी है.

दिल्ली और झारखंड के मुख्यमंत्रियों का कहना है कि केंद्र ईडी का गलत इस्तेमाल कर रही है और उन्हें राजनीतिक वजहों से समन भेजा जा रहा है. दोनों का यह दावा है कि लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है, जिससे वे चुनाव प्रचार ना कर सकें. दिल्ली सरकार के दो मंत्री मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले ही शराब घोटाला मामले में जेल में है. केजरीवाल ने दिल्ली में लोगों की राय भी लेनी शुरू की है कि अगर वह गिरफ्तार होते हैं तो क्या उन्हें सीएम रहना चाहिए. इससे पहले उनकी पार्टी के विधायक प्रस्ताव पास कर चुके हैं कि केजरीवाल को सीएम रहना चाहिए. झारखंड में भी हेमंत सोरेन ने जेल जाने की सूरत में नेतृत्व को लेकर पार्टी के साथ मीटिंग कर ली है.

बीजेपी इसे करप्शन पर वार करार दे रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हर भाषण में करप्शन के खिलाफ जंग का जिक्र करते हैं। वह विपक्ष पर तंज कसते हुए कहते हैं कि जिन लोगों के करप्शन की दुकान बंद हो रही है वे परेशान हैं. बीजेपी करप्शन के खिलाफ जंग को एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बना रही है.-प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) का सेक्शन 50 जांच एजेंसी ईडी को किसी भी व्यक्ति को समन जारी करने का अधिकार देता है. इस सेक्शन के तहत डायरेक्टर, अडिशनल डायरेक्टर, जॉइंट डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर या असिस्टेंट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी के पास समन जारी करने की शक्ति होती है.

-सेक्शन 50 के तहत किसी भी व्यक्ति को समन जारी करने और दस्तावेजों को पेश करने और बयान दर्ज करने की जरूरत होती है. दिल्ली हाई कोर्ट ने एक फैसले के मुताबिक गिरफ्तार करने की शक्ति PMLA के सेक्शन 50 में मौजूद ही नहीं हैं. हालांकि सेक्शन 19 ईडी के अधिकारियों को शर्तों को पूरा करने पर किसी शख्स को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है.इसके अलावा समन के बाद भी किसी शख्स के पेश न होने पर ईडी कोर्ट को भी अप्रोच कर सकती है और किसी के खिलाफ गैर जमानती वारंट हासिल कर सकती है. इसके लिए ईडी को कोर्ट में यह साबित करना होगा कि प्रथम दृष्टया उसके पास सबूत हैं. जिसके खिलाफ समन किया गया है, वह जांच में बिल्कुल सहयोग नहीं कर रहा है.

ईडी शक होने पर PMLA के अंदर समन जारी कर सकती है. किसी मामले में जानकारी हासिल करने के लिए गवाह के तौर पर भी बुला सकती है. अब सवाल यह है कि समन इशू करने पर अगर कोई नहीं आते हैं तो क्या अरेस्ट किया जा सकता है? एजेंसी को लिखित में बताना होता है कि आखिर किन कारणों के चलते एक्शन लिया जा रहा है, ऐसा नहीं है कि किसी को केवल शक के आधार पर अरेस्ट कर लो. एजेंसी को दिखाना पड़ेगा कि किस ग्राउंड पर ईडी को शक हुआ है. लिखित में शक के आधार को बताना होगा. किस हैसियत से बुलाया है, गवाह या आरोपी के तौर पर बुलाया है, ये साफ करना होगा. कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कितनी बार समन जारी किया जा सकता है. सीएम को अरेस्ट करने का कोई प्रोटोकॉल नहीं है.

जहां तक दिल्ली और झारखंड के सीएम को समन की बात है तो उनको सवालों के जवाब देने ही होंगे. सीएम को एजेंसी के सामने अपीयर होना पड़ेगा और अगर ऐसा नहीं होता है तो एजेंसी उनको अरेस्ट भी कर सकती है. कोर्ट में जाकर बता सकती है कि जांच में सहयोग नहीं हो रहा है या एजेंसी खुद भी अरेस्ट कर सकती है.

arvind kejariwalHEMANT SOREN