वर्षों से स्थापित नीतीश कुमार की छवि मटियामेट.

 

सिटी पोस्ट लाइव :बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद भले ही फूहड़ बयानों के लिए कुख्यात रहे हैं, लेकिन नीतीश तो अपने मर्यादित और सधे हुए बयानों के लिए ही जाने जाते हैं. लोग नीतीश को “विकास पुरुष” और “सुशासन बाबू” के तौर पर देखते रहे हैं, न कि उस नेता के तौर पर जो किसी ऐसे बयान के लिए चर्चा में आता है, जो उनकी वर्षों से स्थापित छवि को मटियामेट कर दे.बिहार विधान सभा और विधान परिषद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण और आचरण की चहुंओर भर्त्सना हो रही है. होनी भी चाहिए. विधानसभा और विधान परिषद की अपनी मर्यादा है. इसके साथ 13 करोड़ लोगों की अस्मिता और सम्मान जुड़ा हुआ है. इसलिए हर बात के साथ राज्य की गरिमा और मर्यादा भी जुड़ी हुई है.

सदन के अंदर दिया गया नीतीश कुमार का बयान आधे घंटे के अंदर  बयान सोशल मीडिया पर viral हो गया.विधानसभा में बैठी महिला विधायक, चाहे वो सत्ता पक्ष से हो या विपक्ष से शर्म से पानी पानी हो गईं.पिछले कुछ महीने से जब से इंडिया अलायंस का गठन हुआ, नीतीश कुमार की प्रबल इच्छा थी कि वो एक बार राष्ट्रीय स्तर पर अपनी धमक फिर से कायम करें. उनकी अगुवाई में इंडिया की पहली बैठक इसलिए पटना में करवाई गई. नीतीश के नजदीकी मानते हैं कि वो फिर से 2013 से पहले वाली लोकप्रियता प्राप्त करना चाहते थे, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को चुनौती दी थी. क्या उनके विधानसभा में दिए इन बयानों के बाद नीतीश कुमार उसी ठसक से मोदी को चुनौती दे सकेंगे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज की राजनीतिक सभा में नीतीश के सार्वजनिक व्यवहार पर सवाल उठाया.नीतीश कुमार के साथ पचास वर्षों तक राज्य की राजनीति कर चुके बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी खुद हतप्रभ हैं. वो मानते हैं कि महिलाओं को लेकर जिस तरह की अभद्र टिप्पणी उन्होंने की, ऐसा उन्होंने पहले कभी नहीं सुना था. पूरे देश की महिलाओं से उन्हें हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाहिए. नीतीश जी की सेहत अच्छी नहीं है, अब किसी अति पिछड़े को गद्दी देकर उन्हें कुछ और काम करना चाहिए. नीतीश कुमार का पिछले कुछ समय से सार्वजनिक जीवन में व्यवहार मर्यादित नहीं रहा है, ये कोई ऐसी ढंकी-छुपी खबर भी नहीं है जिनका लोगों को पता न हो.

नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू करवाकर महिलाओं की सहानुभूति हासिल  की . नीतीश के समय में ही बिहार ऐसा राज्य बना जहां पुलिस फोर्स में 35 प्रतिशत महिलाओं को भागीदारी मिली. ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोड़कर नीतीश कुमार ने जीविका दीदी का बड़ा सा समर्थक वर्ग तैयार किया. लेकिन  उनके एक  असंसदीय बयानों का इस्तेमाल कर न सिर्फ बीजेपी ने नीतीश कुमार की छवि  की धज्जी उड़ा दी. नीतीश कुमार अपनी छवि को दोबारा कैसे गढ़ेंगे, 2024 में वो कितनी बड़ी चुनौती पेश करेंगे, 2025 बिहार विधान सभा चुनाव में नीतीश कितने मजबूत या कमजोर दिखेंगे, इन प्रश्नों का उत्तर आना अभी शेष है. शायद समय के साथ सब कुछ बेपरत होता जाएगा.

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