राजभवन और शिक्षा विभाग में बढ़ा टकराव, राजनीति तेज.

विश्वविद्यालयों की ऑडिट के लिए शिक्षा विबाग ने बनाई कमेटी, मोदी ने CM से की हस्तक्षेप की मांग.

सिटी पोस्ट लाइव : शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच तनातनी जारी है. शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों की ऑडिट  कराना चाहता है. इसके शिक्षा विभाग ने  दो सदस्यीय टीम भी बना दी है.शिक्षा विभाग के अपर प्रमुख सचिव के.के. पाठक ने   बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति कुलपति का वेतन बंद करने के साथ ही सभी वित्तीय लेन देन पर रोक लगा दी है.लेकिन उनका ये फैसला  राजभवन को रास नहीं आ रहा है.मुजफ्फरपुर एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के ब्रांच मैनेजर को राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू ने आदेश पत्र भेजकर कहा कि जब तक राज्यपाल सचिवालय के स्तर से निर्देश प्राप्त नहीं होता, यही व्यवस्था लागू रखी जाए.

 अब इस मामले को लेकर सियासत बयानबाजी शुरू हो गई है.पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग के मनमाने फैसलों के कारण प्राथमिक स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक अराजकता-अनिश्चितता की स्थिति है. स्कूल के हेड मास्टरों को मिड-डे मील का खाली बोरा कबाड़ में बेच कर पैसे जुटाने का फरमान और एक विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन रोकने का आदेश शिक्षा विभाग की मनमानी कार्रवाई के ताजा नमूने हैं.

सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को अपने अतिसक्रिय नौकरशाहों को नियंत्रण में रखना चाहिए, ताकि न शैक्षणिक वातावरण बिगड़े और न राजभवन से टकराव की स्थिति पैदा हो. शिक्षा विभाग को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए , जो उसके अधिकार क्षेत्र में न हो। उन्होंने कहा कि 4 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के बारे शिक्षा विभाग की अतिसक्रियता क्यों नहीं दिखती? शिक्षा विभाग के फैसले अब सरकार और राजभवन के बीच टकराव की तरफ जा रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए.

 राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच टकराहट का मामला राजनीतिक रंग भी लेता जा रहा है. इसे जेडीयू और बीजेपी के बीच के तनाव के रुप में भी देखा जा रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि शिक्षकों से कबाड़ बिकवाना, शराब का बोतल ढूंढने को कहना, बोरा बिकवाना और जाति गणना करवाना हो सरकार को तो वेतन दोगुना देना होगा.यह टकराहट नई नहीं है. दो माह पहले नई शिक्षा नीति को लागू करने के सवाल पर भी तनातनी बढ़ी थी. अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक पहले भी शिक्षा विभाग में रह चुके हैं. तब उन्होंने कॉलजों में शिक्षकों की हाजरी अनिवार्य की थी और समय से आने व समय से जाने को लेकर भी कड़ाई की थी. तब कई शिक्षक संघ की ओर से विरोध भी हुआ था.

educationSUSHIL MODI