सिटी पोस्ट लाइव : विपक्ष अभी तक अपना संयोजक का नाम तय नहीं कर पाया है.सीटों के बटवारे के मसले को हल करना अभी बाकी है.दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 जुलाई से 10 अगस्त तक एनडीए सांसदों से मिलने का कार्यक्रम तय कर दिया है. विपक्षी नेता एकता बैठकों के दौरे में ही मशगूल हैं, लेकिन एनडीए नेताओं के चुनावी दौरे शुरू हो गए हैं. प्रधानमंत्री की झोली में बांटने के लिए जितनी चीजें हैं, वे चुनावी मौसम में हाथ खोल कर बांट रहे हैं. एनडीए ने दौड़ना शुरू किया है तो विपक्ष अभी रणनीति बनाने में ही उलझा हुआ है. लोकसभा चुनाव की तैयारी में एनडीए आगे है.
बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर होने के बाद अकेली पडी बीजेपी ने बिहार के चार दलों को अपने साथ कर लिया है .राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) के नेता उपेंद्र कुशवाहा, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हम (HAM) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास ) बीजेपी के साथ जा चुकी है.केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस का गुट तो पहले से ही एनडीए का हिस्सा है. बीजेपी के संपर्क में अब पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि भी हैं. उन्होंने दिल्ली में हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. सवर्ण वर्चस्व को चुनौती देने वाले पिछड़ा वर्ग के दमदार नेता जगदेव प्रसाद के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि की पार्टी राष्ट्रीय शोषित समाज दल भी एनडीए का हिस्सा बन सकती है. मुकेश सहनी की वीआईपी से अगर बात बन जाती है तो बिहार एनडीए में सात दल हो जाएंगे.
एनडीए ने बिहार के लिए सीटों का फार्मूला भी तय कर दिया है.बीजेपी ने साथी दलों के बीच 10-11 सीटें बांटने का फैसला ले लिया है. आरएलजेडी चीफ उपेंद्र 2014 की तरह तीन सीटें मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.उनके अनुसार सब कुछ तय हो चुका है, अब सिर्फ यही तय करना बाकी है कि कौन कहां से लड़ेगा. विकासशील इंसान पार्टी (VIP) सुप्रीमो मुकेश सहनी के भी एनडीए में शामिल होने की बात काफी आगे बढ़ चुकी थी.। एक बात पर मामला अंटक गया कि बीजेपी चिराग को जितनी सीटें देगी, उतनी उन्हें भी चाहिए. सीट शेयरिंग में एलजेपी के दोनों धड़ों को मिला कर 6 सीटें देने की बात हुई है.
मुकेश सहनी ने एनडीए में शामिल होने के दरवाजे बंद नहीं किए हैं. वे इन दिनों निषाद आरक्षण यात्रा पर निकले हुए हैं. बिहार, झारखंड और यूपी में वे यात्रा पर रहेंगे. उसके बाद ही किसी गठबंधन में जाने की बात सोचेंगे. बीजेपी उन्हें एक सीट से अधिक देने को तैयार नहीं है. जीतन राम मांझी एक सीट पर मान गए हैं. वे अपने बेटे पूर्व मंत्री संतोष सुमन को सांसदी का चुनाव लड़ना चाहते हैं.
महागठबंधन की बात करें तो आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के अलावा सीपीआई, सीपीएम और भाकपा (माले) इसमें शामिल हैं. वाम दल भी सीटों की दावेदारी करेंगे. कांग्रेस का बिहार से एक सांसद है, जबकि आरजेडी का कोई सदस्य लोकसभा में नहीं है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के 16 सांसद हैं. नीतीश कुमार चाहेंगे कि पिछली बार की तरह उन्हें 17 सीटें दी जाएं. इस पर बात नहीं बनी तो वे कम से कम 16 जीती हुई सीटें तो जरूर चाहेंगे. आरजेडी चूंकि बिहार में विधायकों की संख्या की दृष्टि से सबसे बड़ी पार्टी है. इसलिए उसकी भी दावेदारी जेडीयू से कम नहीं होगी. कांग्रेस भी सिर्फ झुनझुना थमा देने से नहीं मानने वाली. इसलिए आशंका है कि सीट बंटवारे में ही महागठबंधन के पसीने छूट जाएंगे. कांग्रेस ने यद्यपि साथी दलों के प्रति लचीला रुख अपनाने की बात कही है, लेकिन स्वाभिमान बेच कर शायद ही कांग्रेस कम सीटों के लिए तैयार हो.