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चुनाव से पहले उमड़ा राजनीतिक दलों का दलित प्रेम.

जातिगत गणना रिपोर्ट के बाद सभी दलों में दलित वोटरों को साधने की मची होड़.

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सिटी पोस्ट लाइव : जातीय जनगणना के बाद सभी दल जातीय गोलबंदी में जुट गये हैं.सत्ताधारी दल JDU ने  26 नवंबर को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में भीम संसद रैली आयोजित करने जा रही है. आरक्षण का दायरा बढ़ने के बाद ये रैली बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. JDU  बिहार के करीब 22% दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है. गोपालगंज में दलित समुदाय से आनेवाले जेडीयू सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन के नेतृत्व में लगातार तैयारी चल रही है.

बीजेपी ने भीम संसद के बहाने दलितों गुमराह करने का आरोप लगाया है. जदयू के भीम संसद कार्यक्रम को बिहार बीजेपी के बड़े दलित नेता और मुख्य प्रवक्ता जनक राम ने केवल राजनीति करार दिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार की 13 करोड़ जनता को शर्मसार करते हुए भीम संसद के नाम पर दलितों, शोषितों, वंचितों को शर्मसार करने का प्रयास किया जा रहा है. बिहार के दलित इनके झांसे में आने वाले नहीं हैं.

जनक राम ने कहा कि अब तो मुख्यमंत्री युपीए के पार्ट बन चुके हैं. यूपीए के शासन काल में कभी बाबा साहब तो कभी जगजीवन राम को अपमानित किया जाता रहा है. इतना ही नहीं बड़े भाई के 15 साल के शासन काल में बड़े-बड़े दलितों को बिहार में नरसंहार कर दिया गया. जनक राम ने कहा कि बाबा साहब के नाम पर भीम संसद करा कर दलितों को गुमराह करने के सिवा कुछ नहीं है.JDU ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है  कि भाजपा दलितों और महिलाओं की बात करती है, तो मणिपुर में महिलाओं पर हुए अत्याचार पर क्यों चुप्पी साध लेती है. यूपी में दलितों पर हो रहे अत्याचार क्यों नही बोलते हैं. ये लोग केवल मांझी के नाम पर मुद्दे को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं.

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