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आज बिहार के चौथे कृषि रोडमैप का उद्घाटन.

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सिटी पोस्ट लाइव : आज बिहार का चौथा कृषि रोड मैप लागू होने जा रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को बापू सभागार में चौथे कृषि रोड मैप का उद्घाटन करेंगी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2008 में पहला कृषि रोडमैप लागू किया था. 2012 में दूसरा कृषि रोडमैप और 2017 में तीसरा कृषि रोडमैप लागू किया. बिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य है.74 प्रतिशत लोग आज भी आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर.
राज्य के जीडीपी में कृषि का करीब 19 से 20% योगदान है.

 

बिहार में पशुधन का करीब 6% योगदान है.सबको देखते हुए नीतीश ने कृषि रोड मैप लाने का फैसला लिया.पहले कृषि रोडमैप में किसानों की आय बढ़ाने का था दावा.हर भारतीय की थाली में ‘बिहारी व्यंजन’ पहुंचाने की तैयारी है.पहले कृषि रोड मैप में बीज उत्पादन के साथ किसानों की उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश हुई थी.चावल के उत्पादन में बिहार को काफी सफलता मिली.
कई जिलों में चावल उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई.

 

2012 में चावल उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिला.2013 में गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार मिला.2016 में मक्का के उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार.तीसरा कृषि रोडमैप 2017 में लागू किया गया.कोरोना काल के कारण रोडमैप को एक साल बढ़ाया गया.
तीसरे कृषि रोड मैप में ऑर्गेनिक खाद पर जोर दिया गया.किसानों को खेतों तक बिजली पहुंचाने में सरकार सफल रही.बिहार में हरित पट्टी बढ़ाने पर जोर दिया गया.हरित पट्टी बढ़ाने में सरकार सफल रही.फिलहाल 15 प्रतिशत हरित पट्टी बिहार में है.बाढ़ और सूखा वाले क्षेत्रों में वैकल्पिक फसलों लगाने का लक्ष्य है..

 

कृषि रोड मैप से पहले बिहार में प्रतिवर्ष दूध का उत्पादन 57.7 लाख मीट्रिक टन था.
2021-22 में बढ़कर 115 लाख मीट्रिक टन हो गया है.अंडा का उत्पादन वर्ष 2007-8 में 10667 लाख प्रतिवर्ष था.2021-22 में बढ़कर 30131 लाख प्रतिवर्ष हो गया.किसानों को फसल के अनुसार उचित मूल्य दिलाना आज भी चुनौती है.मौसम के अनुकूल खेती करना बड़ी चुनौती है..
किसानों की से बढ़ाने और उन्हें गुणवत्ता पूर्ण बीज उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है. दलहन, तेलहन और मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाना और जैविक खेती और और गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध करना सबसे बड़ी चुनौती है..

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