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हिट एंड रन कानून का भारी विरोध शुरू.

यूपी-बिहार समेत 5 राज्यों के लिए खुलने वाली बसें बंद,रांची और पटना में भी विरोध जारी.

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सिटी पोस्ट लाइव : हिट एंड रन मामले को लेकर  केंद्र सरकार के संशोधित कानून का देश भर में विरोध हो रहा है.हिट एंड रन कानून में ज्यादा सजा-जुर्माने का विरोध में देशभर में करीब आधे ट्रकों के पहिए थम चुके हैं. विरोध में शामिल होने वाले ड्राइवरों की संख्‍या धीरे बढ़ती जा रही है. ड्राइवर रोड पर ट्रक छोड़कर जा रहे हैं. उत्‍तर प्रदेश,मध्‍य प्रदेश, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, पंजाब और उत्तराखंड में आज हालात बिगड़ सकते हैं. आल इंडिया मोटर ट्रांसपार्ट कांग्रेस (गैर राजनीतिक ) ने आज दोपहर में इस संबंध में देशभर के ट्रांसपोर्ट यूनियनों की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी.

 

बिहार की राजधानी पटना के साथ-साथ  झारखण्ड की राजधानी रांची में भी विरोध जारी है. राजधानी रांची के कांटा टोली बस स्टैंड में बिहार, यूपी, बंगाल, छत्तीसगढ़ समेत दूसरी जगहों के लिए जाने वाली बसें 1 जनवरी से ही खड़ी हैं.  अभी तक यह विरोध प्रदर्शन देश भर में संगठित रूप से नहीं है बल्कि बस चालक अपने स्तर से इसको लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.. कांटा टोली बस स्टैंड में दो जनवरी की सुबह बस चालकों और यूनियन के लोगों ने केंद्र सरकार के इस कानून के खिलाफ नारेबाजी की और इसे काला कानून बताते हुए जल्द से जल्द इसे वापस लेने और उसमें संशोधन की मांग की. हाल यह है कि अलग-अलग जगह से खुली बसों को हाईवे और अन्य रास्तों पर ही खड़ा कर दिया गया है, जिससे यात्रियों की मुश्किलें भी काफी बढ़ गई है.

 

पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ जरूरी सामानों को ढोने वाले चालकों ने भी अपने वाहनों को खड़ा कर दिया है, ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अगर अगले कुछ दिनों तक बस चालकों का यह विरोध प्रदर्शन जारी रहा तब देश भर में जरूरी खाद्य सामानों के लिए हाहाकार मच सकता है. बस चालक कल्याण संघ, रांची के सचिव राणा बजरंगी सिंह ने बताया कि रांची से पांच राज्यों के लिए खुलने वाली बस सेवाओं पर इसका असर पड़ा है.

 

हिट एंड रन मामले में केंद्र सरकार की ओर से जो संशोधित कानून आया है वह कहीं से भी बस चालकों के हित में नहीं है. 10 लाख जुर्माना चुकाना किसी बस चालक के लिए संभव नहीं है.  एक्सीडेंट होने की स्थिति में बस ड्राइवर को ही भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ता है, जिसमें उनकी जान तक चली जाती है, ऐसे में हालात का सामना करना उनके लिए मौके पर बड़ी चुनौती होती है. ऊपर से केंद्र सरकार का यह कानून उनके लिए परेशानी बढ़ने वाला है.

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