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7.75 प्रतिशत तक पहुंचा बिहार में खुदरा महंगाई की दर .

महंगाई डायन खाए जात! सब्जी-मसालों के दाम छू रहे आसमान, आटा-चावल के भाव भी बढ़े; कैसे दो वक्‍त का चूल्‍हा जले!

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सिटी पोस्ट लाइव : महंगाई से वैसे तो पूरा देश बेहाल है लेकिन  उपभोक्ता प्रदेश होने के कारण बिहार को महंगाई की मार कुछ ज्यादा ही झेलनी पड़ती है.बेंगलुरु में टमाटर 50 रूपये तक पहुँच गया है लेकिन बिहार में अभी भी 100 रूपये किलो है. बिहार में खुदरा महंगाई की दर 7.75 प्रतिशत है  जो कि जुलाई में राष्ट्रीय औसत से अधिक है. यह इस वित्तीय वर्ष का सर्वाधिक मंहगाई दर है.मंहगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण भोजन, कपड़े और आवास से जुड़ी हर चीजों पर खर्च का बढ़ जाना है. खाद्यान के साथ सब्जी-फल और मसाले आदि के मूल्य में अप्रत्याशित वृद्धि ने भी महंगाई की दर को बेतहाशा बढ़ा दिया है.

 

खाद्य पदार्थों के अनवरत बढ़ते मूल्य पर नियंत्रण का प्रयास बिफल हुआ है. भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से गेहूं-चावल की खुले में बिक्री तक हो रही है  इसके बावजूद चावल-आटा और दाल के भाव बढ़ते जा रहे हैं.किसी एक चीज का मूल्य स्थिर होता है, तो दूसरा उछाल लेने लगता है. । पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में सभी श्रेणी में चावल की कीमत लगातार बढ़ रही थी. निर्यात पर रोक से मूल्य नियंत्रण में कुछ हद तक सफलता मिली. आटा के साथ भी यही स्थिति थी, जबकि रबी की फसल बाजार में आ चुकी थी.

 

राशन के थोक कारोबारी रविशंकर गुप्ता ने कहा, ‘प्राधिकार का प्रयास मूल्य में लगातार होने वाली वृद्धि को नियंत्रित करना होता है. यह नियंत्रण किसी एक स्तर पर पहुंचकर होता है. यानी पिछली बार की तुलना में बढ़ी हुई किसी दर पर जाकर उस सामग्री का मूल्य स्थिर हो जाता है. इस तरह लाभ के लिए बाजार का मार्ग प्रशस्त रहता है. वह स्थिर मूल्य पर लंबे समय के लिए लाभ की स्थिति होती है.उन्होंने कहा, ‘दूसरी स्थिति अल्पकालिक रूप से बेतहाशा लाभ की होती है, जैसा कि इन दिनों टमाटर के साथ हुआ. जीरा, काली मिर्च, आजवायन आदि मसालों के साथ भी अभी ऐसी ही स्थिति है. टमाटर का मूल्य अब स्थिर होने की ओर है तो प्याज और लहसुन का भाव धीरे-धीरे चढ़ रहा. इससे स्पष्ट है कि बाजार और लाभ के अंतर्संबंध का चक्र अनवरत घूमता रहता है.’

 

स्थानीय उत्पादों से मूल्य-वृद्धि के इस चक्र की गति धीमी की जा सकती है, लेकिन इसके लिए बिहार जैसे उपभोक्ता प्रदेश को अतिरिक्त प्रयास करना होगा.केंद्र सरकार के आंकड़े बता रहे कि जुलाई में पड़ोसी बंगाल में महंगाई की दर बिहार से 1.79 प्रतिशत कम रही और झारखंड में 1.41 प्रतिशत अधिक. बंगाल अनाज और सब्जी के उत्पादन में झारखंड से आगे है. इस माह महंगाई का सबसे बड़ा कारक सब्जियां रहीं, जिसका मूल्य जून की तुलना में 37.34 प्रतिशत अधिक रहा.मसाले एक महीने में 21.63 प्रतिशत महंगे हो गए. दाल और खाद्यान के भाव क्रमश: 13.27 और 13.04 प्रतिशत बढ़ गए. कपड़ा और फुटवियर के दाम 5.64 प्रतिशत बढ़े, जबकि मकान पर खर्च 4.47 प्रतिशत अधिक बढ़ गया.

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