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बिहार दिलाता है BSP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा .

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सिटी पोस्ट लाइव :इस बार भी बहन मायावती की पार्टी बीएसपी  बिहार की सभी 40 संसदीय क्षेत्रों के लिए दम-खम वाले लड़ाकों की खोज में जुटी है. उत्‍तर प्रदेश के सीमावर्ती व बहुजन बाहुल्‍य सात संसदीय क्षेत्रों बक्‍सर, काराकाट, सासाराम, औरंगाबाद, वाल्‍मीकिनगर, गोपालगंज और सारण  पर उसका विशेष जोर है, जहां से पार्टी के राष्‍ट्रीय दर्जा के लिए वह पर्याप्‍त वोट पाती रही है.

बक्‍सर में बिल्‍डर अनिल कुमार हाथी पर सवार हो चुके हैं. वे इस बार बसपा के घोषित पहले नामदार प्रत्‍याशी हैं. पिछली बार वाल्मीकिनगर में हरियाणा मूल के दीपक यादव बड़ा चेहरा थे. वे बगहा चीनी मिल के साथ नौ कंपनियों के मालिक हैं. उससे पहले राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय नहीं थे, फिर भी बसपा ने दांव लगाया. उसके पहले के चुनावों में वहां बार काउंसि‍ल आफ इंडिया के अध्‍यक्ष मनन मिश्रा और पूर्व सांसद पूर्णमासी राम बसपा के प्रत्‍याशी रहे थे.

भौगोलिक संरचना कुछ ऐसी है कि वाल्‍मीकिनगर के लोग कोर्ट-कचहरी छोड़कर दूसरे कामकाज के लिए सीमावर्ती कुशीनगर और गोरखपुर का रुख करते हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति सारण व गोपालगंज की भी है. पूर्वांचल, विशेषकर वाराणसी, बलिया, गाजीपुर का प्रभाव सीमावर्ती सासाराम, काराकाट, औरंगाबाद और बक्‍सर में बखूबी पड़ता है. बसपा इसी का लाभ उठाती है. पिछली बार वह छह संसदीय क्षेत्रों में तीसरे और पांच में चौथे स्‍थान की पार्टी रही थी. ये सातों क्षेत्र उनमें समाहित हैं, जहां के चुनाव परिणाम में बसपा निर्णायक हस्‍तक्षेप करने लगी है.

मोदी लहर के बावजूद 2014 में बक्‍सर से ददन पहलवान 184788 मत पाने में सफल रहे थे. यह बि‍हार में बसपा का अब तक का सर्वोत्‍तम प्रदर्शन है. ददन को मिले वे वोट राजद के कद्दावर जगदानंद सिंह (वर्तमान में पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष) की हार में निर्णायक रहे. वाल्‍मीकिनगर 2004 में बगहा के नाम से सुरक्षि‍त क्षेत्र था. तब लोजपा की हार 65375 मतों के अंतर से हुई थी, जबकि‍ बसपा के पूर्णमासी राम 88458 मत झटक ले गए थे.सासाराम में कांग्रेस से 42954 मत कम पाकर भाजपा 2009 में हार गई थी. तब बसपा के गांधी आजाद को 96613 मत मिले थे. वाल्‍मीकिनगर में तो वह 15.49 प्रतिशत तक मत प्राप्‍त कर चुकी है. सासाराम में 13.84, बक्‍सर में 11.26 और काराकाट में 7.18 प्रतिशत तक मत उसे मिल चुके हैं.

बीस्पी विधानसभा के चुनाव में सफलता हासिल करती रही है.लेकिन लोक सभा में अभीतक उसका खाता नहीं खुला है. पिछली बार भी बिहार के सभी संसदीय क्षेत्रों में उसने प्रत्‍याशी खड़े किए थे.लेकिन  उनमें से कुछ मैदान छोड़ गए. मधुबनी से मो. अली अशरफ फातमी और पश्चिम चंपारण से राजन तिवारी मैदान छोड़कर भाग गये.फिर भी बीएसपी  बिहार में डटी है क्योंकि यहीं वोट उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाते हैं.

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