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कांग्रेस को मंजूर नहीं होगा नीतीश का फार्मूला.

350 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है कांग्रेस , अकेले मैदान में उतरेगी मायावती की बसपा.

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सिटी पोस्ट लाइव : बीजेपी को लोक सभा चुनाव में मात देने के लिए नीतीश कुमार ने जो फार्मूला तय किया है, वह कांग्रेस को मंजूर नहीं है. सीएम नीतीश ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए वन अगेंस्ट वन का फॉर्मूले सेट किया है. यानी बीजेपी या उसके गठबंधन के कैंडिडेट जिस सीट से चुनाव लड़ेंगे, उस सीट से विपक्षी एकता में शामिल पार्टियों में से सिर्फ एक ही भाजपा के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारेगा.लेकिन कांग्रेस पार्टी अकेले 350 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. सीएम नीतीश के इस  फॉर्मूला से कांग्रेस असमंजस में है.

कांग्रेस पार्टी की चाहत है कि वह पूरे देश में सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े. कांग्रेस नेता अभी से ही इस बात की चर्चा करने लगे हैं कि कम से कम 350 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़े. ऐसे में सवाल उठता है कि जहां क्षेत्रीय दल मजबूत है वहां कांग्रेस के एंट्री कैसे होगी. बहुजन समाजवादी पार्टी का सुर बदला हुआ है. बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टी एकला चलो की राह पर दिख रही है. नीतीश कुमार के इस फॉर्मूले पर बीजेपी  ने सिर्फ एक खानापूर्ति बताया है.

बिहार में जदयू के 16 सांसद हैं। 2024 में जदयू 16 या उससे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी. तो वहीं, आरजेडी 15 से 20 सीटों की मांग कर सकती है. बिहार में 40 लोकसभा सीट है. महागठबंधन में 7 राजनीतिक दल हैं. अगर आरजेडी और जदयू 15-15 सीटों पर भी चुनाव लड़ती है तो बाकी बचे 10 सीटों में कांग्रेस को कितनी सीट मिलेगी ये सबसे बड़ा सवाल है. ऐसे में लेफ्ट की तीन पार्टियां कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जीतन राम मांझी को कितना सीट दिया जाएगा.लगभग यही स्थिति दूसरे राज्यों में भी बनने वाली है. ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेंगे.

कभी उत्तर प्रदेश कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. ऐसे में कांग्रेस वहां भी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर ही जीत हासिल हुई थी. ऐसे में समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को ज्यादा सीट देने के फिराक में नहीं है. दूसरी तरफ मायावती की पार्टी को अब तक विपक्षी एकता की बैठक के लिए निमंत्रण नहीं मिला है. यही वजह है कि बसपा अपनी अलग राह पकड़े हुए है. पार्टी लोकसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.

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