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बिहार में कांग्रेस कहाँ से लायेगी 9 सीटों के लिए ‘उम्मीदवार’.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कांग्रेस पार्टी I.N.D.I.A गठबंधन से लोकसभा की नौ सीटें मांग रही हैं. नीतीश कुमार के गठबंधन में रहते इतनी सीटें तो मिलेगी नहीं और अगर मिल गई तो कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार कहाँ से लायेगी. 2019 में उसे नौ सीटें मिली थीं तो चार उम्‍मीदवार नीतीश कुमार से   लेने पड़े थे. इनमें से तीन अब पार्टी में सक्रिय नहीं हैं.पुरानी कांग्रेसी रंजीता रंजन राज्यसभा की सदस्य बन गई हैं. उनका कार्यकाल 2028 तक है. इसलिए उनके चुनाव लड़ने की संभावना भी कम है.पप्पू यादव विकल्प हो सकते हैं लेकिन तेजस्वी यादव उन्हें लड़ने नहीं देगें.

 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह खुद एक मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं लेकिन  उनका राज्य सभा का कार्यकाल अगले साल के दो अप्रैल तक है. वह पूर्वी चंपारण से एक बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं. मुजफ्फरपुर से भी लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं.साल 2019 के लोकसभा चुनाव में डॉ. सिंह के पुत्र आकाश पूर्वी चंपारण से महागठबंधन के उम्मीदवार थे. कांग्रेस इस सीट पर अब भी दावा कर रही है. नौ में से एक किशनगंज पर कांग्रेस के मो. जावेद की जीत हुई थी. उनका वहां से चुनाव लड़ना तय है.

 

साल 2019 में कांग्रेस ने दूसरे दलों से चार उम्मीदवारों को पार्टी में शामिल किया था. भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से उम्मीदवार बने थे. भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले पूर्व सांसद उदय कुमार सिंह को पार्टी ने पूर्णिया से उम्मीदवार बनाया था. चुनाव में हार के बाद ये दोनों कांग्रेस कार्यालय में कभी नजर नहीं आए.मुंगेर लोकसभा सीट से उम्मीदवार रहीं नीलम देवी अब मोकामा से राजद की विधायक हैं. उनकी कांग्रेस में वापसी संभव नहीं है.अगर आयेगीं भी तो मुंगेर  से लड़ना चाहेगीं जहाँ से JDU के सांसद ललन सिंह हैं.जाहिर है ये सीट मिलेगी नहीं.

 

 राकांपा से आए तारिक अनवर अभी पार्टी में बड़े पद पर हैं. वह कटिहार से उम्मीदवार थे. इस बार भी उनका दावा है.समस्तीपुर से डॉ. अशोक कुमार, बाल्मीकि नगर से शाश्वत केदार एवं सासाराम से मीरा कुमार अभी कांग्रेस में हैं. ये तीनों चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. वैसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का हरेक कार्यकर्ता स्वयं को किसी भी चुनाव के लिए सक्षम मानता है. चुनाव मैदान में कूद भी पड़ते हैं, लेकिन चुनाव का परिणाम उन्हें हतोत्साहित ही करता है.

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