City Post Live
NEWS 24x7

नीतीश कुमार ने कर दिया मांझी को मजबूर.

- Sponsored -

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव :विधानमंडल दल की बैठक में जीतन राम मांझी ने कहा था- कसम खाकर कहता हूं, नीतीश का साथ छोड़कर नहीं जाऊंगा. बीच-बीच में कभी सरकार की आलोचना करते या नाराजगी दिखाते भी तो यह जरूर कहते कि वह नीतीश कुमार के साथ हैं और रहेंगे.लेकिन आखिरकार  जून में मांझी ने अपनी कसम तोड़ दी. विपक्षी एकता की बैठक से पहले महागठबंधन की एकता में दरार डाल अलग राह अपना ली. लेकिन उनके बेटे संतोष सुमन का कहना है कि हमने कसम नहीं तोडी बल्कि हमें नीतीश कुमार ने खुद बाहर का रास्ता दिखा दिया.

 राजग सरकार में दो मंत्री का पोर्टफोलियो रखने वाले संतोष सुमन से महागठबंधन सरकार में लघु जल संसाधन का मंत्रालय छीन लिया गया था.मांझी इस बात को लगातार उठा रहे थे.वो कह रहे थे नीतीश कुमार ने उनके साथ ये ठीक नहीं किया.फरवरी में मांझी ने तेजस्वी या चिराग का नाम लिए बिना कहा था कि मेरा बेटा संतोष युवा है और अच्छी तरह से शिक्षित है. जिन लोगों का नाम सीएम पद के लिए आया है, उनसे मेरा बेटा ज्यादा योग्य है. वह प्रोफेसर है और ऐसे लोगों को पढ़ा सकता है.

शराबबंदी को लेकर जीतन राम मांझी पहले दिन से मुखर रहे हैं. स्पष्ट कह चुके हैं कि सिर्फ गरीब और कमजोरों को ही पुलिस पकड़ती है. लगातार शराबबंदी की समीक्षा की अपील करते रहे. को-आर्डिनेशन कमेटी की उनकी मांग की भी अनदेखी हुई.मांझी नई दिल्ली में 13 अप्रैल को गृह मंत्री अमित शाह से मिले. पूछने पर बताया गया कि पहाड़ काटने वाले दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग को लेकर मुलाकात हुई मगर बंद कमरे में दोनों नेताओं की मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले गए.संतोष मांझी के अनुसार इस मुलाक़ात से नीतीश कुमार इतने नाराज हुए कि उन्हें अपने सभी विधयाकों के साथ उनके पास जाकर उन्हें समझाना पड़ा.लेकिन वो पूरी तरह अविश्वास करने लगे थे.वो मानने को तैयार नहीं थे कि बीजेपी के साथ हमारी कोई राजनीतिक डील नहीं हुई है.

संतोष मांझी का कहना है कि उसके बाद नीतीश कुमार ने उनकी पार्टी का JDU में विलय के लिए दबाव बढ़ा दिया.दबाव इतना बढ़ गया कि   सात जून को उन्हें  विधायकों के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर अमित शाह से मुलाक़ात को लेकर सफाई देनी पड़ी.फिर भी  मिलकर लौटे तो फिर नीतीश के साथ रहने की बात दोहराई. हालांकि यह भी कहा कि विपक्षी एकता की बैठक में नहीं बुलाया गया.इसके अगले ही दिन आठ जून को वह राजभवन जाकर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिले.मांझी का कहना है कि अपनी पार्टी को बचाने के लिए उन्हें बड़ा फैसला लेना पड़ा.

दरअसल जब मांझी पर अपनी पार्टी के विलय को लेकर जब ज्यादा दबाव बना तो उन्होंने लोक सभा की पांच सीटों पर लड़ने की मांग कर दी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन ने पांच सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कहकर JDU  को संकेत दे दिया कि वो विलय के लिए तैयार नहीं हैं.संतोष मांझी के अनुसार जब नीतीश कुमार ने ये कह दिया कि अपनी पार्टी का विलय कीजिये या फिर जाइए तो उनके पास एक ही रास्ता था JDU का साथ छोड़ देना.

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.