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लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में तेजस्वी को 8 अगस्त तक राहत.

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सिटी पोस्ट लाइव : लैंड फॉर जॉब स्कैम (नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले ) में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को आरोपित बनाने के बाद दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आज पहली सुनवाई होनी है. पिछले हफ्ते की सीबीआइ ने इस मामले में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी, जिसमें राजद सुप्रीमो लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, मीसा भारती समेत 17 लोगों को आरोपित बनाया गया था. माना जा रहा है कि दिल्ली में आज सुनवाई के बाद लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

 

लैंड फॉर जॉब मामले में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ दाखिल चार्जशीट संज्ञान लेने का मामला आठ अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है. बताया जा रहा है कि मामले में एक आरोपी लालू प्रसाद यादव और रेलवे के दो अधिकारियों के खिलाफ संबंधित अथॉरिटी से इजाजत नहीं मिली है, इसलिए रॉउज एवन्यू कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले सका.दरअसल, सीबीआई की तरफ से कोर्ट को कहा गया कि इस मामले अभी लालू प्रसाद यादव समेत अन्य के खिलाफ संबंधित विभाग से सेक्शन नहीं मिला है, लिहाजा इस मामले में सुनवाई टाल दिया जाए. सीबीआई की इस मांग के बाद राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सुनवाई 8 अगस्त तक के लिए टाल दी.

 

रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले की जांच कर रही ईडी ने अब तक की जांच में 600 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का दावा किया है.तेजस्वी यादव पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित 150 करोड़ के आवास को ए.बी. एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से मात्र चार लाख में खरीद लिया था.इससे पहले मई में रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले की जांच के क्रम में सीबीआइ ने लालू परिवार के सभी सदस्यों के नाम से खरीदी गई संपत्ति का ब्योरा मांगा था. साल 2004 से 2009 तक तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद, मंत्री तेजप्रताप एवं मीसा भारती समेत लालू की सभी सात बेटियों और दामाद के नाम से खरीदी, गिफ्ट की गई या लीज पर दी गई अचल संपत्ति का विवरण मांगा गया था.

 

सीबीआइ का आरोप है कि 2004-2009 की अवधि के दौरान रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव ने विभिन्न रेलवे जोन में समूह ‘डी’ पदों पर नियुक्त करने के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीनी संपत्ति हस्तांतरित करके भ्रष्टाचार किया था.लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए बिना कोई विज्ञापन जारी किए ही रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी के लिए कई लोगों की भर्ती की थी. मामले में यह भी साफ हुआ कि जिन लोगों को ये नौकरी मिली, उन्होंने रिश्वत के तौर पर कम दाम या उपहार के तौर पर अपनी जमीन लालू परिवार के सदस्यों के नाम की थी.

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