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पोस्टर से तेजस्वी की तस्वीर गायब, मचा है बवाल.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार को घेरना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है. पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार  इतने चौंकाने वाले बयान दे रहे हैं, जिससे उनकी राजनीतिक इरादे का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया है. बुधवार को गांधी मैदान में शिक्षकों को नियुक्त पत्र बांटे जाने के श्रेय लेने को लेकर JDU  और RJD  एकदम से आमने सामने हो गए. गांधी मैदान में जो पोस्टर लगे हैं उसमे केवल नीतीश कुमार की तस्वीर है.

 चुनावी मूड में आ चुके बिहार में इन दिनों क्रेडिट लेने की होड़ सी मच गई है. यह होड़ सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नहीं बल्कि RJD-JDU के बीच है. गुरुवार एक ऐतिहासिक दिन साबित होने जा रहा है. आज 1 लाख 20 हजार से ज्यादा चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. केवल पटना के गांधी मैदान में 25 हजार चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण किया जाना है. मगर यहां दिलचस्प यह है कि गांधी मैदान में चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटने के कार्यक्रम में मंच पर लगे पोस्टर पर केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर है. इस पोस्टर से तेजस्वी की तस्वीर गायब है. इस पोस्टर पर महागठबंधन के कुछ मंत्री के साथ उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम भर है.

गौरतलब है कि जब भाजपा जदयू की सरकार थे तो अक्सर पोस्टरों पर नीतीश कुमार और सुशील मोदी की तस्वीर रहती थी. एक बार कृषि विभाग के एक कार्यक्रम में सुशील मोदी की तस्वीर नहीं थी तो रातों-रात पोस्टर बदल दिए गए थे.शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटने को लेकर राजद का प्रचार तंत्र इसे अपनी पार्टी और तेजस्वी की उपलब्धि बताकर खूब प्रचारित भी करता रहा है. राजद की ओर से बताया जा रहा है कि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पढ़ाई, कमाई, दवाई का जो वादा किया था उसे 1.20 लाख शिक्षकों की नियुक्ति कर पूरा किया जा रहा है. लेकिन इन दावों के बीच पोस्टर पर तेजस्वी को जगह नहीं मिलना आरजेडी की चिंता बढाने वाला है.

राजद के शासन काल को कमतर दिखना या संकेतों में अपनी उपलब्धियों को बता कर राजद शासन काल की छीछालेदर करने का कोई अवसर JDU के नेता नहीं छोड़ते हैं. हाल ही में ऊर्जा विभाग के एक कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की सत्ता को कटघरे में खड़ा करते कहा कि पहले बिजली की क्या स्थिति थी? ग्रामीण क्षेत्रों की बात छोड़िए राजधानी पटना में ही महज 8 घंटे बिजली मिलती थी. पर जब हमे काम करने का मौका मिला तो आज बिहार में बिजली की स्थिति काफी बेहतर हो गई है.

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