City Post Live
NEWS 24x7

बीजेपी के ‘चक्रव्यूह’ को भेद पायेगें नीतीश कुमार?

- Sponsored -

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव : बीजेपी ने नीतीश कुमार से निपटने के लिए तीन नेताओं का बड़ा चक्रव्यूह तैयार कर लिया है. रामचंद्र प्रसाद (RCP Singh) , प्रशांत किशोर और  उपेंद्र कुशवाहा जो कभी नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद हुआ करते थे आज वो उतने ही बड़े दुश्मन के रूप में नीतीश से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं.नीतीश कुमार के स्वजातीय और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके आज की तारीख में नीतीश कुमार के सबसे बड़े दुश्मन बन गए हैं. बिहार में कुछ दिन पहले शुरू हुए ऑपरेशन लोटस की कड़ी में अब आरसीपी सिंह भी जुड़ गए हैं.

 

उन्होंने दिल्ली में धर्मेंद्र प्रधान और अरुण सिंह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल होने की घोषणा गुरुवार को कर दी. नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में रह चुके आरसीपी को इसलिए मंत्री पद छोड़ना पड़ा था, क्योंकि जेडीयू ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा नहीं भेजा. नीतीश को इस बात से कोफ्त थी कि उनकी मनाही के बावजूद आरसीपी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला किया. मंत्री बनते ही नीतीश कुमार ने उनसे अध्यक्ष पद छीन कर राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को सौंप दिया. अगली बार राज्यसभा नहीं भेजा, जिससे उनका मंत्री पद छिन गया. उन्हें निकालने के लिए नीतीश ने तरह-तरह के व्यूह रचे. तब से आरसीपी नीतीश के विरोधी तो थे, किसी दल से जुड़ नहीं पाए थे.

 

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कभी नीतीश कुमार के बेहद खास थे. जेडीयू में दुसरे नंबर के नेता बन गये थे. नीतीश ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था. सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर अनबन हुई तो नीतीश ने उन्हें भी ठिकाने लगा दिया. अब तो अपनी जन सुराज यात्रा में प्रशांत किशोर पानी-पानी पी-पीकर नीतीश की बखिया उधेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते. बिहार में बेकाबू अपराध, खराब शिक्षा व्यवस्था, शराबबंदी कानून की विफलता को लेकर वे नीतीश पर लगातार हमलावर बने हुए हैं.

 

नीतीश कुमार ने जिस लव-कुश समीकरण के सहारे सत्ता पाने में कामयाबी हासिल की, उसकी पृष्ठभूमि तैयार करने में सबसे बड़ी भूमिका उपेंद्र कुशवाहा की रही थी. हालांकि बाद में उपेंद्र ने अलग राह पकड़ ली, पर उसी समीकरण के सहारे नीतीश सत्ता का सुख भोगते रहे. उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर नीतीश के सहयोगी बने, पर पार्टी ने उन्हें झुनझुना थमा दिया. एक अदद एमएलसी की सीट उन्हें दी. नरेंद्र मोदी ने तो महज तीन सांसदों वाले दल के नेता होने के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा को अपने मंत्रिमंडल में जगह दे दी. मोदी से उनकी कोई पुरानी दोस्ती या जान-पहचान भी नहीं थी. लेकिन पुराने साथी होने के बावजूद नीतीश ने कुशवाहा को महज एमएलसी बनाया.

 

 तेजस्वी यादव को नीतीश ने जब अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तो उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश ने उनसे पल्ला झाड़ लिया. हार कर उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी फिर पार्टी बनाई. आरएलजेडी के बैनर तले अब वे नीतीश की खटिया खड़ा करने में जी-जान से जुटे हैं. उन्होंने कुशवाहा वोटों पर धावा बोल दिया है.दूसरी तरफ  आरजेडी से जेडीयू के तालमेल से खफा नेताओं के जेडीयू छोड़ने का सिलसिला थम नहीं रहा है. पूर्व सांसद मीना सिंह, पार्टी प्रवक्ता रहीं सुहेली मेहता और शंभुनाथ सिन्हा जैसे लोगों के साथ कार्यकर्ता लगातार जेडीयू को बाय बोल रहे हैं. उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव करीब आने पर जेडीयू में भगदड़ और तेज होगी.

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.