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बाबा ने 5 दिन में वो कर दिखाया जो BJP आजतक नहीं कर पाई.

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सिटी पोस्ट लाइव : बागेश्वर धाम  वाले बाबा पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने 5 दिनों की हनुमंत कथा के जरिये बिहार में जो कर दिखाया है, वह मिल का पत्थर साबित हो सकता है.बाबा ने महज एक हनुमत कथा के जरिये  हिंदुत्व की जो अलख जगा दी है वह काबिले-गौर है.बाबा तो चले गये लेकिन हिंदुत्व के नाम पर सभी जाति-वर्ग के लोगों को एक कर बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है. बाबा ने जाने से पहले एक बार फिर  कहा कि   सनातन धर्म को बचाने के लिए शस्त्र, शास्त्र, माला-भाला की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि हमारे देश में जातिवाद की जो खाई है, उसे समाप्त करने के लिए सभी हिंदुओं को एकजुट होना होगा. उन्होंने कहा कि मुसीबत में दुश्मनों की भी मदद करनी चाहिए. जब तक तन में प्राण रहेंगे तब तक बिहार आते रहेंगे.  उन्होंने कहा कि इत्र से वस्त्र को सुगंधित करना कोई बड़ी बात नहीं है. बाजार से इत्र ले आओ वस्त्र पर डाल दो वह महकने लगेगा. बड़ी बात है कि अपने चरित्र को ऐसा बनाओ कि हमेशा इसकी खुशबू बरकरार रहे. हनुमंत कथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में हनुमान के चरित्र का मनन सभी के लिए जरूरी है. जो सुकून संसार में कहीं नहीं है वो सुकून बाबा बागेश्वरधाम में है.

पोस्टर फाड़ने के बारे में कहा कि मेरे पोस्टर फाड़ सकते हो, पोस्टर पर कालिख पोत सकते हो, कागज से हमें निकाल सकते हो लेकिन जो बिहार के लोगों के हृदय में बसा उसे कोई कैसे निकाल सकता है. लाख तूफान आए-जाए कोई परवाह नहीं हम बिहार आते रहेंगे.जो जैसा कर्म करता कर्म के अनुसार ही फल भोगना पड़ता है. ऐसे में अपने चरित्र को ठीक रखें, कर्म अच्छे करें तो परिणाम भी अच्छे होंगे. जिस घर में सीताराम की पूजा होती है, वहां खुद हनुमानजी रक्षक बनकर खड़े होते हैं. श्रीरामचरित मानस सबसे सुंदर ग्रंथ है. यह लोगों को सद्बुद्धि देती है.

बाबा ने कथा के अंतिम दिन लोगों को अपने माथे पर तिलक और घरों में महावीरी ध्वज लगाने पर जोर दिया.उन्होंने कहा कि जिस दिन बिहार के 13 करोड़ में से केवल 5 लाख लोग ऐसा करने लगेगें ,हिन्दू राष्ट्र का सपना साकार हो जाएगा.धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि आने वाले दिनों जब भी मौका मिलेगा तो यहां पर रामकथा जरूर करेंगे. जिस प्रकार पाली मठ के आचार्य ने सेवा दी है वे हमारे लिए सबसे बड़ी कृपा रही. राघवेंद्र के दरबार में कथा कहना मेरे लिए सौभाग्य की बात है.कथा समापन पर शायरी सुनाते हुए कहा कि सितारों को आंखों में महफूज रखना, क्योंकि बहुत देर तक रात ही रात होगी, मुसाफिर हो तुम भी.. मुसाफिर है हम भी, बालाजी ने चाहा तो किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी.. पेश कर सभी श्रद्धालुओं को आनंदित किया.

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