सिटी पोस्ट लाइव : 15 जनवरी को रवियोग के शुभ संयोग के साथ मकर संक्रांति पर्व की शुरुवात हो रही है. सूर्य मकर राशि में इस दिन सुबह 8.42 बजे प्रवेश करेंगे. इसके कारण पूरे दिन मकर संक्रांति का पर्व मनेगा. मकर संक्रांति पर शतभिषा नक्षत्र के साथ रवियोग का भी संयोग बना रहेगा.इस दिन गंगा स्नान कर श्रद्धालु सूर्यदेव की पूजा कर दान-पुण्य करने के साथ अपने और अपने परिवार, समाज की खुशहाली की कामना करेंगे.
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा.इस दिन से मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे.ज्योतिष आचार्यों के अनुसार 2025 व 2026 में मकर संक्रांति 14 जनवरी और 2027 व 2028 में 15 जनवरी को मनेगी.मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के साथ सूर्य देव को अर्घ्य व पूजा अर्चना करने से परिवार में कुशलता बनी रहती है. स्वास्थ्य उत्तम रहने के साथ यश-कीर्ति में वृद्धि होती है. गंगा स्नान का इस दिन विशेष महत्व होता है.
शास्त्रों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन व दक्षिणायन को देवताओं की रात के तौर पर माना जाता है. भगवान सूर्य की कृपा पाने के लिए इस दिन तांबे के पात्र में जल के साथ काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.इस दिन जरूरतमंदों को दान-पुण्य, धार्मिक कार्य करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. भगवान सूर्य शनिदेव के पिता है. सूर्य और शनि दोनों ग्रह पराक्रमी है. ऐसे में जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो शनि की प्रिय वस्तुओं के दान से भक्तों पर सूर्य की कृपा बरसती है. मान-सम्मान में बढ़ोतरी होती है.
मकर संक्रांति के दिन तिल से निर्मित वस्तुओं का दान करने से शनिदेव की विशेष कृपा घर परिवार में बनी रहती है. तिल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है. तिल के दान और खिचड़ी ग्रहण करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है. ठंड के मौसम में तिल, गुड़ का सेवन लाभदायक होता है.
Comments are closed.