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डोमिसाईल नीति लागू करने पर सरकार करेगी विचार?

13 जुलाई को विधानसभा मार्च का BJP का ऐलान ,क्या अपने फैसले को वापस लेगी नीतीश सरकार?

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में 1.70 लाख शिक्षकों की होने वाली भर्ती में दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को मौका देने के बाद से शनिवार को पटना में बवाल मचा. बिहार के शिक्षक अभ्यर्थी लगातार नियमावली में संशोधन का विरोध कर रहे हैं. पटना में शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति लागू कराने की मांग को लेकर अभ्यर्थी सड़क पर उतर गए. पुलिस के समझाने के बाद भी शिक्षक अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे थे. जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया.बीजेपी का आरोप है कि नीतीश कुमार  ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वो  देश के बेरोजगारों की चिंता कर रहे हैं. वह भी तब जब अन्य राज्य डोमिसाइल नीति लागू कर अन्य राज्यों से आए अभ्यर्थियों के लिए मुश्किल खड़ी करते हैं.

 

बिहार के लड़कों को ओडिशा, बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ में नौकरी नहीं मिलती. उत्तर प्रदेश में वैसे बिहारी को नौकरी मिल सकती है, जो कम से कम 10 साल वहां रह चुके हैं. उत्तराखंड में बिहारियों को तभी नौकरी मिलेगी जब वे यहां से टेन प्लस टू की पढ़ाई पूरा कर चुके हैं. झारखंड में केवल 10 प्रतिशत बजरी उम्मीदवारों को नौकरी मिल सकती है. ऐसे में यह जानते हुए कि सबसे ज्यादा बेरोजगारी बिहार में है फिर भी शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया को देश स्तर की प्रतियोगी परीक्षा बनाने का खामियाजा बिहारी अभ्यर्थी को ही झेलना पड़ेगा.

 

नीतीश कुमार  अपने राज्य के प्रतिभागी पर लाठी चार्ज कर दूसरे राज्यों के छात्रों के नियोजन का रास्ता साफ कर रहे हैं. बिहार की नीतीश सरकार की ओर से डोमिसाइल नीति समाप्त करने के फैसले के खिलाफ शनिवार को राज्य भर से जुटे हजारों शिक्षक अभ्यर्थियों ने पटना में विरोध प्रदर्शन शुरू किया. बीटेट-सीटेट सफल अभ्यर्थियों ने नीतीश सरकार से मांग की है कि राज्य में डोमिसाइल नीति की पूर्ववत व्यवस्था लागू की जाए. यानी दूसरे राज्य के लोगों को आवेदन करने की छूट नहीं होनी चाहिए. अपनी मांगों को लेकर अभ्यर्थियों ने राजभवन मार्च के लिए कूच किया. पुलिस ने बीच में ही शिक्षक अभ्यर्थियों को खदेड़ा और इस दौरान लाठीचार्ज भी हुआ.

 

बीजेपी ने शिक्षक अभ्यर्थियों के पक्ष में सड़क पर उतरने का फैसला लिया है. बिहार बीजेपी की ओर से 13 जुलाई को विधानसभा मार्च का ऐलान किया गया है.सरकार के सहयोगी बामपंथी दल माले भी सरकार के इस फैसले की मुखालफत कर रही है. माले शिक्षकों के साथ और सरकार के खिलाफ खादी नजर आ रही है.

 

शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि बिहार सरकार का यह निर्णय राज्य के युवाओं को धोखा देना है. पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहे बिहार के युवाओं को अब एक और बड़ी परेशानी में नीतीश सरकार ने डाल दिया है. एक तो चार साल से परीक्षा पास कर नियोजन का इंतजार कर रहे थे. इधर सरकार नई नियमावली बना कर BPSC से परीक्षा देने के लिए बाध्य कर रही है.  जब अभ्यर्थी डोमिसाइल नीति को समाप्त करने का विरोध कर रहे हैं तो सरकार डंडे चलवा रही है.

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