जीतन राम मांझी बिगाड़ सकते हैं महागठबंधन का गणित.

सिटी  पोस्ट लाइव :पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन मांझी ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देकर बिहार की राजनीति में  हलचल पैदा कर दी है. संतोष मांझी के कैबिनेट से हटने के बाद नीतीश कुमार ने जितनी तेजी से उनके रिप्लेसमेंट रत्नेश सदा के नाम की घोषणा की है उसको लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.चिराग पासवान पहले से बीजेपी के साथ हैं ऐसे में मांझी के बीजेपी के साथ जाने से दलितों की गोलबंदी बीजेपी के पक्ष में हो सकती है.क्या इसी संभावना को लेकर नीतीश कुमार चिंतित हैं.

 

JDU के राष्ट्रिय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि  अभी देश एक अलग मिजाज के साथ संविधान और लोकतंत्र बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. पूरे देश की पार्टियां एक हो रही हैं, 17 पार्टियां यहां आ रही हैं. पूरे देश में विपक्ष एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ लड़ेंगी. इधर मांझी साहब अपनी-अपनी दुकान चला रहे हैं. छोटी-छोटी दुकान चलाने से क्‍या फायदा है. इसी वजह से जीतन राम मांझी को पार्टी के विलय करने की बात कही गई तो इसमें बुरा क्या?

 

जीतन राम मांझी ने पलटवार करते हुए कहा कि  हमने सियासी जीवन में कभी भी ऐसे हथकंडे नहीं अपनाए हैं. मेरी पार्टी कोई दुकान नहीं है, बल्कि जनता की सेवा करने के लिए एक मंच है. हमने मुख्यमंत्रित्वकाल में जो भी 34 बड़े फैसले लिए, उसको लागू कराने के लिए ही पार्टी का निर्माण किया और लगातार नीतीश कुमार का समर्थन किए. लेकिन अब पानी नाक से ऊपर चढ़ गया था, जो बर्दाश्त के बाहर था. उन्होंने कहा कि ललन सिंह के कहने या न कहने से क्या होता है. 23 के बाद आप लोग देखिएगा कि हम क्या करते हैं?

 

कहने को भले जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बोल गए कि छोटी दुकान. मगर नीतीश सरकार की तरफ से जो मंत्रिपरिषद विस्तार की सूचना आनन-फानन में दी वह महागठबंधन सरकार के भीतरी डर को उजागर कर गया. 16 जून को नीतीश कैबिनेट का विस्तार करने की बात सामने आ रही है.नए मंत्रियों को शपथ दिलाने के सुबह 10.30 का समय भी तय किया गया है. सोनवर्षा से विधायक रत्नेश सदा का मंत्री बनना तय बताया जा रहा है. मंत्रिपरिषद विस्तार को लेकर यह कहा जा रहा है कि चार और लोगों को नीतीश कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है, जिनमें दो आरजेडी कोटे से, एक कांग्रेस और एक जेडीयू के विधायक को मिल सकता है.

 

एनडीए के साथ पहले से ही लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान मौजूद हैं. एनडीए के साथ  जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के एक मंच पर आ जाने से दलित मत की गोलबंदी होगी. चिराग पासवान और जीतनराम मांझी मिलेंगे तो यह एक और एक 11 की तरह दिखेंगे. इसे राजनीतिक फॉर्म्यूले के रूप में देखें तो M (मांझी)+P (पासवान) = 11 बनता है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस बिहार में दलित समाज के ये दो चहरे के रूप में सबसे ज्यादा चर्चित हैं.

 

नीतीश कुमार को इस दलित मतों के जुटान का खतरा दिख रहा है. यह तो जेडीयू का हर नेता जानता है कि चिराग और मांझी का विकल्प रत्नेश सदा तो नहीं बन सकते. ऐसा इसलिए कि मगध खासकर नालंदा, गया, सासाराम, औरंगाबाद की धरती पर जीतने राम मांझी की मुसहर जाति के अलावा भी कई अन्य जातियों विशेषकर सवर्णों पर भी प्रभाव है. ऐसा इसलिए कि जीतन मांझी ने काफी साल तक कांग्रेस की राजनीत की है. उधर, चिराग पासवान के साथ विशेष रूप से नॉर्थ बिहार का जुड़ाव है. यहां पासवान और मुसहर जाति की एका एनडीए के लिए राहत वाला संदेश है. पर क्या रत्नेश सदा इस डैमेज कंट्रोल के सही पात्र हैं यह तो आगामी चुनाव परिणाम के बाद तय होगा.

Jitan Ram Manjhi