बिहार में I.N.D.I.A के चक्रव्यूह को भेदने का अमित प्लान तैयार.

बिहार में बीजेपी को अब नहीं है मुकेश सहनी की जरुरत, हरि सहनी को अमित शाह ने दी जिम्मेवारी.

 

सिटी पोस्ट लाइव :  BJP ने मुकेश सहनी को छोड़कर बिहार के तमाम छोटे दलों को साथ लाने में कामयाबी हाशिल कर ली है.मुकेश सहनी का तोड़ भी अमित शाह ने निकाल ली है.अमित शाह ने मुकेश सहनी की ना के बाद डैमेज कंट्रोल के तहत  विधान परिषद में खाली पड़े नेता प्रतिपक्ष के पद पर हरि सहनी को बिठाकर अतिपिछड़ा कार्ड तो खेला ही है साथ ही उन्होंने  सहनी समाज के बीच भी बड़ा संदेश दे दिया है.नेता प्रतिपक्ष का यह पद सम्राट चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के कारण खाली पड़ा था. तभी से बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के लिए नए चेहरे की तलाश जारी थी. मुकेश सहनी की ना के बाद  डैमेज कंट्रोल के तहत हरि सहनी को बीजेपी ने ये पद दे दिया.

दरअसल, हरि सहनी दरभंगा बेस्ड भाजपा के वरीय नेता हैं. वर्ष 2022 में एमएलसी बने हरि सहनी को परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाने की चर्चा लंबे समय से थी. हरि सहनी दरभंगा जिला में बीजेपी के जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्होंने 2005 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था. वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में केवटी विधानसभा से उम्मीदवार के रूप में हरि सहनी के नाम की घोषणा हुई. बाद में उनका टिकट कट गया थ. मगर वे पार्टी के प्रति जवाबदेह बने रहे. हरि सहनी के इस धैर्य का भी पुरस्कार मिलना था.

पिछड़ा और अतिपिछड़ा की राजनीत को साधते अमित शाह ने सम्राट चौधरी को बिहार भाजपा का अध्यक्ष बनाया. सम्राट चौधरी को साथ लेकर अमित शाह ने पिछड़ा कार्ड तो खेल ही डाला साथ ही  नीतीश कुमार  के लव-कुश समीकरण को भी भेद डाला. बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में भूमिहार जाति से आने वाले विजय कुमार सिन्हा को जगह दे कर भाजपा ने कोर वोटर पर पकड़ मजबूत करने का भी काम किया. पूर्व सांसद आरके सिन्हा के पुत्र ऋतुराज सिन्हा को भाजपा की केंद्रीय टीम में रख कर कायस्थ जाति को भी मजबूत करने की कोशिश की है.

मुकेश सहनी के विकल्प को ध्यान में रख हरि सहनी को इसलिए लाया गया कि दरभंगा के आसपास सहनी वोटरों पर एक प्रभाव भी है. इनकी मदद को वहां पहले से ही पूर्व मंत्री रामचंद्र सहनी भी हैं. समस्तीपुर में भाजपा की वरीय नेत्री नीलम सहनी को कमान सौंप कर एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.पूर्व एमएलसी अर्जुन सहनी और अशोक सहनी का मुजफ्फरपुर में विशेष प्रभाव है. अपने इन विशेष नेताओं के उपयोग से भाजपा सहनी समुदायों के वोट पर निशाना साध कर एक नई कोशिश शुरू कर दी है.

भाजपा सबका साथ सबका विकास के नारों के साथ राजनीति कर रही है. हरि सहनी अति पिछड़ा समाज से आते हैं. उन्हें जिम्मेदार दी गई है। भाजपा का सामूहिक नेतृत्व में विश्वास है. दलित और पिछड़े वर्ग राजनीत में बहुत पिछड़ चुके हैं, उन्हें आगे लाकर केंद्रीय नेतृत्व उनमें विश्वास भरना चाहता है. भाजपा इस तरह का प्रयोग करते रही है. रामचंद्र सहनी को भी भाजपा ने जब मंत्री बनाया था तो इसका मकसद भी था कि यह वर्ग उभर कर हर क्षेत्र में आगे बढ़े. संजय पासवान को केंद्रीय मंत्री भी बनाया था.

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