2024 का नीतीश कुमार का फॉर्मूला, JDU को बनना होगा दाता.

सिटी पोस्ट लाइव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को गोलबंद करने में जुटे हैं.अगले लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने बीजेपी के एक उम्मीदवार के सामने विपक्ष के एक उम्मीदवार का फार्मूला दिया है.यह फार्मूला तभी सफल होगा जब इसके लिए विपक्षी दल बड़ा त्याग करने के लिए तैयार होगें.सबसे पहले इसकी शुरुवात बिहार से JDU-RJD और कांग्रेस को करनी होगी.2019 में बीजेपी ने जेडीयू के लिए पांच ऐसी लोकसभा सीटें छोड़ दी थीं, जिनपर 2014 में बीजेपी की जीत हुई थी.2019 में जो भूमिका BJP ने निभाई वहीँ भूमिका 2024 में JDU को निभानी पड़ेगी. 2019 के लोक सभा चुनाव में BJP की मदद से JDU को 16 सीटों पर सफलता मिली थी. किशनगंज बिहार की इकलौती सीट थी जो कांग्रेस की झोली में गई.

बांका, भागलपुर, गोपालगंज, जहानाबाद, झंझारपुर, मधेपुरा, सीतामढ़ी एवं सिवान। कांग्रेस उम्मीदवारों को जदयू ने पांच सीटों (कटिहार, मुंगेर, सुपौल, वाल्मीकिनगर एवं पूर्णिया) पर हराया था.बाकी तीन में दो नालंदा एवं गया में हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा और तीसरे काराकाट में रालोसपा के उम्मीदवार जदयू के मुकाबले दूसरे नम्बर पर थे. रालोसपा का जदयू में विलय हो गया.इसके संस्थापक उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक जनता दल के नाम से नई पार्टी बना ली है. वे राजग के साथ चले गए हैं. दूसरी तरफ हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा महागठबंधन में बना हुआ है.लेकिन कबतक बने रहेगें मांझी कह पाना मुश्किल है.

अगर महागठबंधन के सभी दल इस बात पर राजी हो जाएं कि जदयू की जीती हुई सीटें उसके पास रह जाए तो कोई दिक्कत नहीं है.लेकिन, जीती हुई सीटों पर राजद या कांग्रेस की ओर से दावा किया जाता है तो मुश्किल हो सकती है. कुछ सीटें ऐसी हैं, जिन्हें प्रतिष्ठापूर्ण मानकर कांग्रेस दावा कर सकती है.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर करीब 45 प्रतिशत वोट लेकर दूसरे नम्बर पर रहे थे. 50.5 प्रतिशत वोट लेकर जदयू की जीत हुई थी.दूसरी सीट जहानाबाद है. यहां जदयू को 40.82 और राजद को 40.61 प्रतिशत वोट मिला था.इस तथ्य से मिलेगी राहतजदयू की जीती ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जिनपर पिछले तीन लोकसभा चुनावों में राजद की हार हुई थी.

जहानाबाद भी उन्हीं में से एक है. 2004 में राजद की यहां आखिरी जीत हुई थी. 2009 और 2019 में जदयू जीता. 2015 में जदयू-राजद में दोस्ती हुई थी.उस समय दोनों दलों ने कई जीती हुई विधानसभा सीटों पर समझौता किया था. इसलिए जीती हुई सीटों का दान पहले भी होता रहा है. लेकिन, इसबार खतरा दूसरा है.अगर जीती सीटें दूसरे दल को मिली तो सांसद राजग में चले जाएंगे. महागठबंधन में जहां एक-एक सीट के लिए संघर्ष की स्थिति बनेगी, भाजपा के पास बांटने के लिए 17 ऐसी सीटें हैं, जिन्हें 2019 के लोस चुनाव में उसने जदयू के लिए छोड़ी थी.

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