परिषद् के तीन सीटों पर महागठबंधन की हार का मतलब.

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधान परिषद के शिक्षक और स्नातक की पांच सीटों पर हुए चुनाव में महागठबंधन की हार हुई है. महागठबंधन से मगध में आरजेडी के उम्मीदवार डॉ. पुनीत सिंह बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति अवधेश नारायण सिंह से हार गये. डॉ. पुनीत, RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं. अवधेश नारायण सिंह बीजेपी में रहते हुए भी नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं. दूसरी तरफ जगदानंद सिंह महागठबंधन में हैं. इसके बावजूद उनकी नीतीश कुमार से दूरी है.

पूर्व कृषि सुधाकर सिंह से भी नीतीश कुमार के संबंध अच्छे नहीं है. इसलिए माना जा रहा है कि जेडीयू के कार्यकर्ताओं ने सुधाकर सिंह के भाई और जगदानंद सिंह के बेटे डॉ. पुनीत से बदला लिया है. हालांकि, चुनाव के दौरान सुधाकर ने नीतीश पर तंज कसना कम कर दिया था.बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि RJD -JDU ने मिलकर जगदानंद सिंह को अपमानित किया है.

महागठबंधन के दूसरे उम्मीदवार पुष्कर आनंद सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी थे. वे शिक्षक नेता और सीपीआई के केदारनाथ पांडेय के बेटे हैं. केदारनाथ पांडेय के निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी, लेकिन सहानुभूति वोट भी सीपीआई प्रत्याशी पुष्कर को जीत नहीं दिला सकी. यहां चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के संगठन जनसुराज के समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद को जीत मिली.पुष्कर ने कहा कि हमसे कोई गलती नहीं हुई है. पुष्कर की हार और अफाक की जीत के पीछे सच्चिदानंद सिंह की ताकत के साथ नियोजित शिक्षक संघ की ताकत भी मानी जा रही है. प्रशांत किशोर के साथ संघ के नेताओं की बातचीत चुनाव से पहले हुई थी. इसलिए यह जीत प्रशांत किशोर के मैनेजमेंट और शिक्षक संघ की ताकत का परिणाम है.

चुनाव हारने वालों में महागठबंधन के तीसरे उम्मीदवार हैं संजीव श्याम सिंह, जो जेडीयू से थे. इन्हें बीजेपी के जीवन सिंह ने हराया है. ये वही संजीव श्याम सिंह हैं, जिन्होंने अरुण कुमार जैसे कांग्रेसी नेता को चुनाव हराया था. संजीव दो बार से चुनाव जीत रहे थे, जबकि जीवन पहली बार एमएलसी चुनाव मैदान में थे.महागठबंधन के इन तीन नेताओं की हार का मतलब है कि बिहार में बीजेपी मजबूत हो रही है. दूसरी बड़ी बात यह कि प्रशांत किशोर की एंट्री राजनीति में एमएलसी चुनाव के बहाने हो गई है.

ये चुनाव छोटे से इलाके तक सिमित नहीं थे.इसमें कई विधान सभा क्षेत्र शामिल थे. इसलिए हार से महागठबंधन की चिंता बढ़ी है.विधान परिषद में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी हो गई है. यह बड़ा संकेत 2024 और 2025 के पहले महागठबंधन के लिए हो सकता है.आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन कहते हैं कि बीजेपी पांच सीटें पर जीत का दावा कर रही थी, लेकिन कोसी में बड़ी हार का सामना करना पड़ा. छपरा में भी बीजेपी की हार हुई. गया की जीत बहुत कम वोटों से हुई है. वहां कैंडिडेट के व्यक्तिगत प्रभाव से जीत हुई है. इसमें बीजेपी का कोई हाथ नहीं है. इस चुनाव परिणाम से जनता के मूड का आकलन नहीं किया जा सकता है.

Bihar MLC Election