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पटना: बेतिया राज की 15,000 एकड़ ज़मीन अब बिहार सरकार के अधिकार में आ गई है। बिहार विधानमंडल ने इस संबंध में एक विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके बाद बेतिया राज की करीब 15,000 एकड़ ज़मीन और अन्य संपत्तियाँ राज्य के कब्जे में आ जाएँगी। यह ज़मीन बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैली हुई है, और इसकी कुल कीमत लगभग 8,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।
1954 में समाप्त हुआ था बेतिया राज परिवार
बेतिया राज की संपत्तियाँ अब राज्य सरकार की होंगी। बेतिया राज परिवार का अस्तित्व 1954 में समाप्त हो गया था, जब महारानी जानकी कुंवर का निधन हुआ। इसके बाद, बेतिया राज परिवार का आखिरी सदस्य भी इस दुनिया से विदा हो गया।
बेतिया राज की ज़मीन का विस्तार
राजस्व और भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने जानकारी दी कि बेतिया राज की कुल 15,000 एकड़ ज़मीन बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी है। बिहार में इस ज़मीन का अधिकांश हिस्सा पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिलों में फैला हुआ है, जबकि कुछ ज़मीन सारण, सिवान, गोपालगंज और पटना जिलों में भी है। उत्तर प्रदेश में 143 एकड़ ज़मीन बेतिया राज के नाम है। इन ज़मीनों की कुल कीमत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है।
भाकपा-माले विधायक ने किया विरोध
भाकपा-माले के विधायक बीरेंद्र गुप्ता ने इस विधेयक का विरोध किया और इसे “काला कानून” करार दिया। उनका कहना है कि इस विधेयक के पारित होने से वहां बसे हुए लोग, जो 1885 के बाद से वहां रह रहे हैं, बेघर हो सकते हैं। हालांकि, मंत्री दिलीप जायसवाल ने आश्वासन दिया कि विधेयक के लागू होने के बाद सरकार इन जमीनों की सूची जारी करेगी और प्रभावित लोगों से आपत्तियाँ लेकर उनका समाधान किया जाएगा।
अवैध कब्जे पर कार्रवाई
बिहार के राजस्व परिषद के अध्यक्ष केके पाठक ने बेतिया राज की ज़मीन पर अवैध कब्जों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की है। उनके निर्देश पर अधिकारियों ने जांच की और यह सामने आया कि पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिलों में लगभग 3,600 एकड़ ज़मीन पर अवैध कब्जा या अतिक्रमण हुआ है। बेतिया में 11,600 अतिक्रमणकर्ताओं की पहचान की गई है और प्रशासन इस मामले में कार्रवाई कर रहा है।