सिटी पोस्ट लाइव : जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ कर 129 विधायकों के समर्थन से सरकार तो बना ली है लेकिन अभी तक न तो उनके साथ शपथ लेने वाले मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा नहीं हो सका है और ना ही मंत्रिमंडल का विस्तार हो पाया है. माना जा रहा है कि नीतीश कुमार बीजेपी के ग्रीन सिग्नल का इंतजार कर रहे हैं. मंत्रियों के विभाग अब तक न बंट पाने की दो बड़ी वजहें बताई जा रही हैं.पहला नीतीश कुमार जो विभाग जेडीयू कोटे में चाहते हैं, वह बीजेपी उन्हें देने को तैयार नहीं है. कहा जा रहा है कि नीतीश गृह विभाग अपने पास रखने की जिद पर अड़े हुए हैं. इसी खींचतान के कारण विभागों का बंटवारा नहीं हो पा रहा है.पिछले 18 साल से गृह विभाग नीतीश कुमार के ही पास गृह विभाग रहा है. इस बार भी वे गृह विभाग अपने पास ही रखना चाहते हैं.
दरअसल, गृह विभाग किसी भी सरकार के लिए लिए शासन-प्रशासन की कुंजी होता है. नीतीश यह कुंजी किसी को देना नहीं चाहते. वर्ष 2020 में नीतीश कुमार जब सातवीं बार बिहार के सीएम बने, तब भी उन्होंने यह विभाग अपने पास ही रखा था. महागठबंधन के साथ नीतीश ने 2022 में जब सरकार बनाई, तब भी आरजेडी के विधायकों की संख्या अधिक होने के बावजूद उन्होंने गृह विभाग अपने पास ही रखा. इस बार भी वे इसे अपने पास ही रखना चाहते हैं.लेकिन आज वे भाजपा पर दबाव बनाने की स्थिति में नहीं हैं. उनकी मौजूदा हालत ऐसी है कि भाजपा के डिक्टेशन पर चलना उनकी मजबूरी है.
नीतीश कुमार इससे पहले इतने लाचार कभी नहीं थे. इस बार उनके पास अपनी पार्टी जेडीयू के महज 45 विधायक ही हैं. दूसरा यह कि वे महागठबंधन से तकरार कर एनडीए में आए हैं. यही कारण है कि एनडीए में रहते वे जिस विजय सिन्हा के खिलाफ विधानसभा में आग बबूला हो गए थे, उन्हें डेप्युटी सीएम के रूप में उन्हें स्वीकार करना पड़ा. इतना ही नहीं, जिस सम्राट चौधरी ने उन्हें सीएम की कुर्सी से बेदखल करने के लिए पगड़ी बांध रखी थी, उन्हें भी डेप्युटी सीएम बनाने में उन्हें कोई एतराज नहीं हुआ. ऐसी स्थिति में नीतीश भाजपा से अपनी जिद मनवा लेंगे, ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
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