बिहार उपचुनाव के नतीजों के मायने, तेजस्वी के रास्ते में आए ओवैसी और प्रंशात

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पटना: बिहार की चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों को गौर से देखें, तो यह साफ़ है कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज आरजेडी के लिए खतरा बनती दिख रही है। उपचुनाव में इन दोनों ही पार्टियों ने आरजेडी को नुकसान पहुँचाया है। ऐसे में यह साफ़ है कि तेजस्वी यादव की राह में असदुद्दीन ओवैसी और प्रशांत किशोर आ गए हैं। इन दोनों की वजह से तेजस्वी का पूरा खेल बिगड़ सकता है।

अगर हम सीटवार नतीजों का विश्लेषण करें, तो गया की बेलागंज सीट आरजेडी की परंपरागत सीटों में से रही है। यहां एक समय सुरेंद्र यादव की तूती बोलती थी। आरजेडी का इस सीट को हार जाना तेजस्वी यादव के लिए किसी सदमे से कम नहीं होगा। जदयू ने राजद का 34 सालों से अभेद किला रहे बेलागंज में झंडा गाड़ दिया है। अगर ध्यान से देखें, तो यहां राजद को हराने में ओवैसी और प्रशांत किशोर की पार्टी की अहम भूमिका रही। इमामगंज में इन दोनों ही पार्टियों (जनसुराज और एआईएमआईएम) ने महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगा दी। इससे जदयू की जीत का रास्ता साफ़ हो गया।

बेलागंज विधानसभा में राजद को हराने में जनसुराज और एआईएमआईएम की अहम भूमिका रही। यहां आरजेडी के माई (मुस्लिम और यादव) समीकरण को प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज के प्रत्याशी अमजद ने प्रभावित कर दिया। मुसलमानों ने बड़ी संख्या में आरजेडी के बदले जनसुराज को वोट कर दिया। जनसुराज 17 हज़ार 285 वोट मिले। अगर अमजद यहाँ से चुनाव नहीं लड़ते तो यह वोट सीधे राजद को मिलता।

इसके अलावा एआईएमआईएम को तीन हज़ार पाँच सौ 33 वोट मिले। कहा जा रहा है कि यह वोट भी मुस्लिम वोटरों ने ही दिया। दोनों पार्टियों को देखें, तो दोनों ने मिलकर 20818 वोट का आरजेडी को नुकसान करा दिया। जदयू की मनोरमा देवी यहां से 21391 वोटों से जीती। अगर ये 20818 वोट आरजेडी को मिल जाते, तो माहौल बदल सकता था।

इमामगंज में राजद को हराने में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने अच्छी-खासी मदद की। यहां से एआईएमआईएम की प्रत्याशी कंचन पासवान को 7493 वोट मिले और राजद यहां पाँच हज़ार नौ सौ 45 वोटों से हारी। कहा जा रहा है कि कंचन पासवान को मिले वोटों में ज़्यादातर वोट मुस्लिम मतदाताओं के हैं।

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