सिटी पोस्ट लाइव :बिहार के तीन ऐसे नेता हैं जो पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान और चुनाव में बाद धोखा खा चुके हैं.आगामी विधान सभा चुनाव में ये सारे नेता अपना हिसाब किताब बराबर करने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं.बदले की आग में जल रहे ईन नेताओं को इस चुनाव का बेसब्री से इंतजार है. सबसे बड़ा नाम है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जिन्हें चिराग पासवान ने बहुत बड़ा नुकशान पहुंचाया.उनकी सभी सीटों पर उम्मीदवार देकर 35 से ज्यादा सीटों का नुकशान कर दिया.दुसरे नेता हैं मुकेश सहनी और चौथे नेता हैं ओवैशी जिनके विधायकों को चुनाव बाद बीजेपी और आरजेडी द्वारा तोड़ दिया गया.
चिराग पासवान अभी NDA के साथ हैं, ऐसे में उनसे नीतीश कुमार तभी बदला ले पायेगें जब वो NDA का साथ छोड़ेगें.राजनीतिक पंडितों के अनुसार नीतीश कुमार 120 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर बीजेपी को चिराग पासवान को कम से कम सीट देने के लिए मजबूर कर सकते हैं.सूत्रों के अनुसार अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी भी 100 से कम सीटों पर नहीं लड़ना चाहेगी.ऐसे में 43 सीटें ही सहयोगी दलों के लिए बचेगीं.किसी भी हालत में जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा 10 से कम सीटों पर नहीं मानेगें .ऐसे में बीजेपी के पास मुश्किल से 23 सीटें चिराग पासवान को देने के लिए बचेगीं.चिराग पासवान 30 से कम सीटों पर लड़ना चाहते हैं.पिछले चुनाव में उन्होंने NDA का साथ इसीलिए छोड़ दिया था क्यूंकि BJP उन्हें 15 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं थी.
दुसरे चोट खाये नेता हैं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी.उन्होंने 2015 के विधान सभा चुनाव में पहली बार पांच फीसदी वोट हासिल किया. वर्ष 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में एआईएमआईएम का वोट प्रतिशत बढ़कर 1.26 तक पहुंच गया और उसने 5 सीटें भी जीत ली. विधानसभा में कई सीटें जीतने वाले आरजेडी के उम्मीदवार को हराने का कारण भी बने.फिर क्या था तेजस्वी यादव ने एआईएमआईएम के चार विधायकों को तोड़ आरजेडी में मिला लिया. पार्टी सूत्रों के मुताबिक पहली बार पांच और दूसरी बार 20 सीटों पर लड़ने वाली पार्टी एआईएमआईएम आगामी विधान सभा में 20 से ज्यादा उम्मीदवार उतारकर आरजेडी को सबक सिखाने की तैयारी में है. मुस्लिम वोट के सहारे ही सही पर एआईएमआईएम बिहार की राजनीति में आरजेडी के लिए तो खतरा है ही.
तीसरे चोट खाए नेता मुकेश सहनी के साथ कुछ और भी बुरा हुआ. 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में वीआईपी के चार विधायक जीत कर विधान सभा आए थे.इनमें एक विधायक की मौत हो गई थी. शेष तीनों विधायकों को बीजेपी ने अपने दल में मिला लिया. वीआईपी के टिकट पर जीतनेवाले ये तीन विधायक राजू सिंह सुवर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव बीजेपी के ही नेता थे . विकासशील इंसान पार्टी (VIP) भी भाजपा से खार खाए बैठी है. ये तीन विधायक जो वीआईपी से भाजपा में आए ये केवल चुनाव लड़ने की मनसा से आए थे.जीतने के बाद अंततः पुनः भाजपा में चले गए.भाजपा की इस हरकत से नाराज वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी अभी तक भाजपा के उस विश्वासघात को याद किए बैठे हैं. आगामी विधान सभा चुनाव में वीआईपी अपनी ओर से बीजेपी को सबक सिखाने के मूड में है.