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जमुई से चिराग नहीं तो कौन लडेगा चुनाव ?

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सिटी पोस्ट लाइव : हाजीपुर से चिराग पासवान इसबार चुनाव लड़ेगें.लेकिन उनके संसदीय क्षेत्र जमुई से कौन चुनाव लडेगा अभीतक तस्वीर साफ़ नहीं हो पाई है. पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को जमुई में चुनाव होना  है. चर्चा के मुताबिक चिराग जमुई से अपने किसी करीबी या संबंधी को चुनाव मैदान में उतारने की सोच रहे हैं. चिराग अपने पिता की कर्मभूमि हाजीपुर शिफ्ट होना चाहते हैं. कुछ समय पहले उन्होंने हाजीपुर में संकल्प सभा की थी तभी इस बात का संकेत मिल गया था. जबकि हाजीपुर के मौजूदा सांसद पशुपति पारस हैं. पशुपति पारस केन्द्रीय मंत्री पद छोड़ कर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. अगर वे इंडी गठबंधन की तरफ से चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबला दिलचस्प हो सकता है.

 

चिराग पासवान  काफी उतार-चढ़ाव के बाद अब वे लोजपा के सर्वमान्य नेता बन चुके हैं. एनडीए में सम्मान और पांच सीट मिलने से बेहद खुश हैं. अब न कोई शंका है न चिंता. लेकिन चर्चा है कि चिराग जमुई की जगह हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे. उनकी फिल्म टिकट खिड़की पर भले ना चली लेकिन राजनीति में आते ही उन्होंने कमाल कर दिया. उन्होंने 2014 और 2019 में जमुई से लगातार दो बार लोकसभा का चुनाव जीता. फिल्मों का फ्लॉप हीरो राजनीति का स्टार बन गया. जमुई कितनी महत्वपूर्ण सीट है यह 2019 के चुनाव से समझा जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में अपने चुनाव प्रचार आभियान की शुरुआत जमुई से की थी जबकि यहां से भाजपा की सहयोगी पार्टी लोजपा (चिराग पासवान) मैदान में थी.

परिसीमन के बाद 2009 में पहली बार जमुई (सुरक्षित) लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ था. उस समय बिहार एनडीए में नीतीश कुमार बड़े भाई की भूमिका में थे. जमुई सुरक्षित सीट उन्होंने अपने पास रखी थी. यहां जदयू के विधायक भूदेव चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया था. राजद ने यहां से श्याम रजक को मैदान में उतारा था. उस समय अशोक चौधरी कांग्रेस में थे. वे कांग्रेस के उम्मीदवार थे. भूदेव चौधरी ने 1 लाख 78 हजार 560 वोट लाकर यह चुनाव जीत लिया. राजद के श्याम रजद 1 लाख 48 हजार 763 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस के अशोक चौधरी को 71 हजार 267 वोट मिले थे.

2014 में बिहार की राजनीतिक तस्वीर बदल गयी थी. रामविलास पासवान लालू यादव से अलग हो कर एनडीए में आ गये थे. सीट बंटवारे में जमुई सीट लोजपा को मिली. राम विलास पासवान अपने पुत्र चिराग पासवान को राजनीति में लॉन्च करना चाहते थे. चिराग फिल्मी दुनिया छोड़ चुके थे. चिराग पासवान जमुई से लोजपा के उम्मीदवार बने. उस समय नीतीश कुमार भाजपा से अलग होकर बिहार में अकेले सरकार चला रहे थे. एनडीए के प्रति उनके मन में तल्खी थी. जमुई को प्रतिष्ठाजनक सीट मान कर उन्होंने बिहार विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को उम्मीदवार बना दिया. लालू यादव भी अलग चुनाव लड़ रहे थे. राजद ने यहां से जदयू के पूर्व नेता सुधांशु शेखर भास्कर को प्रत्याशी बनाया. चुनाव हुआ तो चिराग पासवान ने राजनीति की अपनी पहली पारी में ही शानदार प्रदर्शन किया. पॉलिटिक्स के डेब्यूडेंट होने के बावजूद उन्होंने अपने से अनुभवी उदय नारायण चौधरी और सुधांशु शेखर भास्कर को करारी शिकस्त दी. चिराग को 2 लाख 85 हजार 352 वोट मिले. दूसरे स्थान पर सुधांशु भास्कर रहे और उन्हें 1 लाख 99 हजार 407 मत मिले. जदयू के दिग्गज नेता उदय नारायण चौधरी तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 1 लाख 98 हजार वोटों से संतोष करना पड़ा.

2019 के लोकसभा चुनाव में पहले तो लग रहा था कि इस बार कांटे की टक्कर होगी. लेकिन चुनाव नतीजा बिल्कुल एकतरफा रहा. चिराग पासवान को इस बार बंपर समर्थन मिला और उन्हें 5 लाख 28 हजार 771 वोट मिले. जबकि रालोसपा के भूदेव चौधरी को 2 लाख 87 हजार 716 वोट मिले. यानी चिराग को राजद का संयुक्त गठबंधन भी नहीं हरा सका था. जहां तक जातीय समीकरण की बात है तो जमुई लोकसभा क्षेत्र में यादव, राजपूत, वैश्य, मुस्लिम और दलित वर्ग के मतदाता डिसाइडिंग फैक्टर माने जाते हैं. फिलहाल चिराग पासवान जातीय समीकरण को साधने में सफल रहे हैं. नीतीश कुमार उनके साथ रहे तब भी जीते और अलग रहे तब भी जीते.

20 14 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी के साथ  लोजपा ने कमाल का पर्दर्शन किया. चिराग पासवान ने जमुई से चुनावी डेब्यू किया जो हिट साबित हुआ. उन्होंने जदयू से ये सीट छीन ली. लोजपा ने सात में से छह लोकसभा सीटें जीत लीं. 2009 में जो पार्टी जीरो पर थी वह 6 पर पहुंच गयी. लोजपा के साथ आने से भाजपा को भी फायदा हुआ. भाजपा 30 सीटों पर लड़ी और 22 पर जीती. दोनों ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.

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