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लोक सभा चुनाव में दिखेगा बाहुबलियों का जलवा.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में एकबार फिर से लोक सभा चुनाव में बाहुबलियों का दबदबा नजर आनेवाला है.RJD सुप्रीमो लालू यादव ने मुंगेर लोकसभा सीट से  कुख्यात डॉन अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनिता को चुनावी मैदान में उतार दिया है. अशोक महतो को लालू यादव ने ही शादी के लिए कहा था और उसने खरमास के महीने में ही शादी रचा ली और अपनी पत्नी को टिकट भी दिला दिया.यहाँ से JDU के उम्मीदवार ललन सिंह हैं.

वैशाली और शिवहर सीट पर भी बाहुबली चुनाव मैदान में नजर आयेगें.शिवहर से JDU ने बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को उम्मीदवार बनाया है.उनके मुकाबले के लिए RJD बाहुबली नेता रामा सिंह को मैदान में उतारने की तैयारी में है.एक ही जाती के दो बाहुबलियों के मैदान में होने से लड़ाई दिलचस्प होने की पूरी गारंटी है.आनंद मोहन का कहना है कि जिसके पास बहुबल न हो वो जनता की रक्षा क्या करेगा.वहीँ रामा सिंह का दावा है कि किसके पास बहुबल है ये तो चुनाव मैदान में पता चलेगा.

सिवान लोक सभा क्षेत्र की कहानी भी दिलचस्प है.पिछले चुनाव में बाहुबली अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह को नीतीश कुमार ने उम्मीदवार बना दिया था.अजय सिंह ने टिकेट के लिए आनन् फानन में खरमास महीने में कविता सिंह के साथ शादी रचाई थी.उन्हें टिकेट मिला और जीत भी गई.लेकिन इसबार नीतीश कुमार ने कुख्यात अपराधिक रिकॉर्ड वाले रमेश कुशवाहा की पत्नी विजयलक्ष्मी को उम्मीदवार बना दिया है.रमेश कुशवाहा उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे.इनका मुकाबला सिवान के सबसे बड़े बाहुबली नेता रहे शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब के साथ होगा.हीना शहाब RJD से या फिर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर सकती हैं.

 

वैशाली लोक सभा क्षेत्र से बाहुबली मुना शुक्ला RJD के उम्मीदवार हो सकते हैं.और भी कई बाहुबली चुनाव में उतरने की जुगाड़ में थे लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पाया.सूरजभान सिंह के भाई को इसबार टिकेट नहीं मिल पाया.लालू यादव की बेटी मिसा भारती की वजह से रीतलाल यादव को पाटलिपुत्र लोक सभा चुनाव का मैदान छोड़ना पड़ा.

 

 बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों पर निशाना साधा है.मांझी ने कहा कि लालू यादव जी का एक पुराना इतिहास रहा है. शहाबुद्दीन को उन्होंने ही टिकट दिया था और अब अशोक महतो को दिया है.मांझी ने कहा कि  जम्हूरियत का यही साइड इफेक्ट है. ये लोग काम और जन सेवा पर कम ध्यान देते हैं.

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