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लू से पीड़ित गंभीर मरीजों के लिए बनेंगे डेडीकेटेड वार्ड.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में जारी हीट  वेब को ध्यान में रखते हुए  स्वास्थ्य विभाग एक्शन में आ गया है. सोमवार को सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों  के प्राचार्य और अधीक्षक के साथ स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार सिंह ने बैठक की.उन्होंने  लू पीड़ित व्यक्ति के हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, सांस की गति, दिमागी हालत पर नजर रखने का निर्देश दिया. उन्होंने लू और हीट वेव से पीड़ित कितने मरीज किस अस्पताल में भर्ती हैं और कितने की मौत हुई है, इसकी विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा. बताया गया कि पावापुरी मेडिकल कॉलेज  अस्पताल में रविवार को 69 और सोमवार को 10 मरीज भर्ती हुए हैं.

स्वास्थ्य सचिव ने मरीजों के इलाज के लिए राज्य के सभी प्रमुख अस्पतालों में  डेडीकेटेड वार्ड बनाने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग ने दिया है. 24 घंटे चिकित्सक और पारा मेडिकल स्टाफ की तैनाती के साथ साथ  आवश्यक दवाएं और उपकरण उपलब्ध कराने का निर्देश स्व्क़स्ति सचिव ने दिया है. मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में  20 से 30, जिला अस्पतालों  में 10 और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक या मरीज की जरूरत के अनुसार बेड रिजर्व रखे जाएंगे.

लू से सस्पेक्टेड आठ मरीजों की मौत पटना में हुई है. एमएमसीएच में 40 मरीज भर्ती हैं. यहां भी सस्पेक्टेड छह मरीजों की मौत हुई है. पीएमसीएच में 20 मरीज भर्ती हैं. यहां स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया कि लू से कितनी मौतें हुई हैं. बताया गया कि मेडिसिन विभाग में तीन-चार मौतें प्रतिदिन होती हैं. गया में भी एक मरीज की मौत हुई.सभी एंबुलेंस में एयर कंडीशन की क्रियाशीलता, ऑक्सीजन और आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता की समीक्षा कर सभी को तैयार रखने का निर्देश दिया गया है. अस्पतालों में समुचित प्रकाश, पंखा, कूलर, शुद्ध पेयजल और अन्य सुविधाएं सुनिश्चित कराने की पहल की जा रही है. गर्मी और लू से बचाव को लेकर जिला स्तर पर जागरुकता कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया गया है.

हीट वेव को देखते हुए एनएमसीएच के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस परिसर में नवनिर्मित फैब्रिकेटेड अस्पताल में 24 बेड का अलग से लू वार्ड बनाया जाएगा. अस्पताल में पहले से 10 बेड का स्पेशल लू वार्ड बना हुआ है. इस तरह अब बढ़कर 34 बेड हो जाएंगे. इसके अलावा आईसीयू में भी पांच बेड रिजर्व रखे गए हैं. सभी बेड पर ऑक्सीजन पाइपलाइन, वेंटिलेटर और मॉनीटर की भी सुविधा है. अधीक्षक डाॅ राजीव रंजन ने बताया कि सभी जीवनरक्षक दवाएं उपलब्ध हैं. मेडिसिन विभाग की ओपीडी में आने वाले अधिकतर मरीज लू लगने और डायरिया की शिकायत लेकर आ रहे हैं.

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