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छठ पूजा की पौराणिक कथा कहने-सुनने का महातम.

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सिटी पोस्ट लाइव : छठ पूजा  से जुडी कई कहानियाँ जुडी हुई हैं. महाभारत काल से लेकर अबतक छठ पूजा की कई कथाएं हैं.एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी. उनकी पत्नी मालिनी इस बात से काफी दुखी रहती थीं.​ एक दिन वे कश्यप ऋषि के पास पहुंचे और अपने मन की व्यथा बताई. तब उन्होंने राजा प्रियंवद को पुत्र सुख पाने के लिए एक यज्ञ करने को कहा.कश्यप ऋषि के सुझाव को मानकर राजा प्रियंवद ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ का आयोजन किया. सभी ऋषि और मुनियों की मदद से यज्ञ पूर्ण हुआ. उसके बाद रानी मालिनी को यज्ञ का खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने को दिया गया.

उस यज्ञ और प्रसाद के शुभ प्रभाव से रानी मालिनी गर्भवती हो गईं. इस खबर को पाकर राजा प्रियंवद बेहद खुश हुए. समय आने पर रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया. लेकिन वैद्य ने बताया कि पुत्र मृत पैदा हुआ है. इससे राजा प्रियंवद बहुत दुखी हो गए. वे उस पुत्र के शव को लेकर श्मशान गए और पुत्र के वियोग में स्वयं के प्राण देने का भी फैसला कर लिया.जैसे ही वे अपने प्राण त्यागने के लिए आगे बढ़े, वैसे ही देवी देवसेना प्रकट हुईं. उन्होंने राजा प्रियंवद को प्राण त्यागने से रोका और कहा कि उनका नाम षष्ठी है. तुम देवी षष्ठी की पूजा करो और अपनी प्रजा को भी इसके लिए प्रेरित करो.

देवी षष्ठी की आज्ञा से राजा प्रियंवद राजमहल में आ गए. फिर उन्होंने पुत्र प्राप्ति के उद्देश्य से कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को छठ पूजा की और व्रत रखा. छठी मैया की कृपा से उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. उसके बाद से हर साल राजा प्रियंवद के राज्य में छठ पूजा होने लगी.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि आप जिस भी शुभ मनोकामना से छठ पूजा विधि विधान से करते हैं, वह छठी मैया की कृपा से पूर्ण होती है. छठ पूजा करने से संतान, सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है.

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